पटना: राजधानी पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद स्थाई समिति की तेरहवीं बैठक संपन्न हो गई. बिहार की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई मुद्दों पर विमर्श हुआ. विवादित मुद्दों का समाधान भी किया गया और भविष्य के लिए रणनीति तय की गई. राजधानी पटना स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद भवन में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के स्टैंडिंग काउंसिल की एक दिवसीय बैठक संपन्न हुई.
ये भी पढ़ें- Bihar Politics : 'विपक्षी एकता की बैठक बाद फिर होगा मंत्रिमंडल विस्तार'- शकील अहमद खान
47 एजेंडे पर हुआ विमर्श : इस बैठक में केंद्र के प्रतिनिधि के अलावा चारों राज्यों के प्रतिनिधि मंडल ने हिस्सा लिया. 17 दिसंबर 2022 को कोलकाता आयोजित हुए पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 12वीं बैठक में लिए गए निर्णय के ऊपर भी चर्चा हुई. स्थाई समिति ने 47 एजेंडा बिंदुओं पर विमर्श किया, जिनमें 16 बिंदु पिछली बैठक में लिए गए थे, जबकि 29 नए बिंदु सदस्य राज सरकार और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा प्रायोजित थे.
4 घंटे तक चली बैठक : पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और झारखंड के प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लिया, लगभग 4 घंटे तक कई मुद्दों पर विमर्श हुआ. केंद्रीय मंत्रालयों एवं सदस्य राज्यों के मध्य अनेक विवादास्पद मामलों को सुलझाया गया और उन्हें एजेंडे से हटा भी दिया गया. बिहार की ओर से मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, एस सिद्धार्थ और चैतन्य प्रसाद, झारखंड मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव वंदना दादेल के अलावा कई अन्य अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया.
इन मुद्दों पर हुई सहमति: बिहार से संबंधित अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई जिसमें प्रमुख रूप से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट, फरक्का बांध, इंद्रपुरी जलाशय परियोजना, दनियामा बिहारशरीफ बरबीघा शेखपुरा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का निर्माण, खनिज ब्लॉकों की नीलामी, बिहार और झारखंड के मध्य बिहार राज्य निर्माण निगम लिमिटेड के अस्तित्व एवं दायित्वों का बंटवारा, जिला खनिज फाउंडेशन की स्थापना नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम एवं राज्यों द्वारा इक्विटी मैपिंग का क्रियान्वयन तथा पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के अंतर्गत राशि जारी किया जाना शामिल है.
किसलिए हुआ क्षेत्रीय परिषद का गठन: देश में केंद्र और राज्यों के बीच मिलकर काम करने की संस्कृति को विकसित करने के लिए क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ था. क्षेत्रीय परिषद के जरिए क्षेत्रीय विषमता, अलगाववादी गतिविधि, नक्सलवाद, नारकोटिक्स, भाषाई अल्पसंख्यक, अंतर राज्यीय परिवहन जैसे मुद्दों पर विमर्श के जरिए निर्णय लिया जाता है और प्रगति का आकलन भी किया जाता है. 1956 में क्षेत्रीय परिषद का गठन किया गया था.