नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में इस्तेमाल किए गए सोर्स कोड के ऑडिट की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता सुनील अहिया ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि यह याचिका ईवीएम के सोर्स कोड के ऑडिट से संबंधित एकल मुद्दे के लिए दायर की गई है.
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अदालत के पास संदेह करने लायक क्या सामग्री है? अहिया ने कहा कि उन्होंने किसी विशेष मानक का पालन नहीं किया है और उन्होंने किसी भी मानक का खुलासा नहीं किया है, और कोई भी ऑडिट मान्यता प्राप्त मानक के अनुसार होना चाहिए और सोर्स कोड ईवीएम का मस्तिष्क है. अहिया ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को तीन बार आवेदन दिया है लेकिन उन्होंने इस पर चुप रहना पसंद किया और दोहराया कि सोर्स ईवीएम का मस्तिष्क है और मामला लोकतंत्र के अस्तित्व के बारे में है.
उन्होंने सोर्स कोड का अर्थ समझाने की भी कोशिश की अदालत से की. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि उसे पता है कि सोर्स कोड क्या है और सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जा सकता है, क्योंकि इससे ईवीएम हैकिंग के प्रति संवेदनशील हो जाएगा.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब हम शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर कोई आवेदन डालते हैं तो हमें सुरक्षा ऑडिट से गुजरना पड़ता है. अहिया ने कहा कि वे किस मानक का पालन कर रहे हैं यह सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, और सवाल किया कि हैश फंक्शन हस्ताक्षर कहां है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आश्वस्त रहें कि इन मानक दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है. जिस क्षण इसे सार्वजनिक डोमेन में डाला जाता है, तब खतरा होता है कि इसका दुरुपयोग हो सकता है. जब हम सुरक्षा ऑडिट करते हैं. कहते हैं उदाहरण के लिए ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर या हमने अब सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश के लिए इलेक्ट्रॉनिक पास की अनुमति दे दी है.'