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Indian response to Canada : 'भारतीय हितों के खिलाफ काम करने वालों को मिलेगा ऐसा ही जवाब'

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 20, 2023, 3:51 PM IST

Updated : Oct 20, 2023, 7:12 PM IST

पिछले 50 सालों में वह काम नहीं हुआ, जिस काम को भारत ने अंजाम तक पहुंचा दिया. भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को नई दिल्ली से निष्कासित कर दिया. इस पर कनाडा भन्ना गया है. उसने भारत पर वियाना कॉन्वेंशन के नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया. कनाडा के इन आरोपों का भारतीय विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है. भारत ने कहा कि जो भी भारत के हितों के खिलाफ काम करेगा, उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा. 41 diplomats fired from New Delhi, India response hard to Canada, canada says India violates Vienna convention

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कनाडा के पीएम और भारत के पीएम डिजाइन फोटो

नई दिल्ली : भारत ने कनाडा को करारा जवाब देते हुए उसके 41 राजनयिकों को नई दिल्ली से रवाना कर दिया. इस पर कनाडा बौखला गया है. कनाडा ने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसका जवाब देते हुए कहा कि कनाडा अनर्गल प्रलाप कर रहा है.

भारत ने कहा कि हम समानता के सिद्धान्त पर काम करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम इसका अक्षरक्षतः पालन करते हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने जो भी कुछ किया है, वह अंतरराष्ट्रीय मानदंड के अनुरूप है. भारतीय अधिकारी ने बताया कि कनाडा अनावश्यक रूप से कोई कुप्रचार न करे. भारत ने साफ कर दिया है कि कनाडा के राजनयिकों की संख्या ज्यादा थी, इसलिए भारत ने यह कदम उठाया है.

भारतीय अधिकारी ने बताया कि कनाडा के राजनयिकों की संख्या न सिर्फ आनुपातिक स्तर पर ज्यादा थी, बल्कि वे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप भी कर रहे थे. भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हमें कनाडा की प्रतिक्रिया पर निराशा हुई है, वह इस तरह से तथ्यों को पेश कर रहे हैं, मानो कनाडा विक्टिम हो.

अधिकारी ने कहा कि भारत ने जो भी कुछ किया है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिन नियमों का पालन किया जाता है, उनका ही हमने पालन किया है. कनाडा ने वियाना कॉन्वेंशन के उल्लंघन का आरोप लगाया है, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि वे उसे ठीक से पढ़ें.

भारत ने कहा कि वियाना कॉन्वेंशन के आर्टिकल 11.1 में साफ तौर पर समानता का नियम लिखा हुआ है. इसमें बताया गया है कि दूतावास या मिशन में कितने कर्मचारी और राजनयिक होंगे. अगर इस पर कोई आपसी समझौता नहीं हुआ हो, तो समानता के सिद्धान्त का पालन किया जाएगा.

भारत ने कहा कि कनाडा में हमारे 21 राजनयिकों को काम करने की इजाजत दी गई है, जबकि भारत में कनाडा के 62 राजनयिक काम कर रहे थे. भारत ने साफ कर दिया था कि अगर इन राजनयिकों को नहीं हटाया जाएगा, तो उन्हें जितनी राजनयिक छूट मिली हुई है, उसे वापस ले लिया जाएगा.

इस पर कनाडा के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि पिछले 50 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी भी एक देश के इतने राजनयिकों को निकाल-बाहर किया जाए. आपको बता दें कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या कर दी गई थी. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आतंकी की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था. इतना ही नहीं, ट्रूडो ने कनाडा की संसद में इन आरोपों को दोहराया भी.

इसके बाद भारत ने कनाडा को कड़ा जवाब दिया. भारत ने मुंबई, चंडीगढ़ और कर्नाटक स्थित कनाडा की कांसुलेट सेवाओं को बंद करने का आदेश दे दिया. भारत ने कहा कि हमारे राजनयिकों की जितनी संख्या कनाडा में है, उतनी ही संख्या कनाडा के राजनयिकों की भारत में होनी चाहिए.

भारत ने जिस तरीके से कनाडा के सामने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का सबूत दिया, उसने कनाडा को एक्सपोज कर दिया. इस विषय पर ईटीवी भारत ने इमेज मीडिया के प्रेसिडेंट रोबिंदर सचदेव से बातचीत की. उन्होंने कहा कि कनाडा के राजनयिकों ने किसान आंदोलन के दौरान भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित सूचनाओं को जुटाया था और उसे ओटावा भेजा था. इसके आधार पर कनाडा ने भारत को लेकर अपनी विदेश नीति तय करनी शुरू कर दी थी.

दिसंबर 2021 में कनाडा के पीएम का बयान आया था. उस दौरान उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन कर दिया था. ट्रूडो ने तब कहा था कि वह किसानों के अधिकारों और उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करते हैं. भारत ने कनाडा की प्रतिक्रिया को अवांछित बताया था. भारत ने कहा था कि ट्रूडो आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं.

सचदेव ने बताया कि किसान आंदोलन के अलावा खालिस्तानी आंदोलन को लेकर भी कनाडा ने ढुलमुल रवैया अपना रखा है. भारत के अनुसार कनाडा खालिस्तानी आंदोलन का समर्थन करता रहा है.

यूसांस फाउंडेशन थिंकटैंक के डायरेक्टर अभिनव पांड्या ने कहा कि हाल के दिनों में कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी एक्टिविस्ट्सों की संख्या लगातार बढ़ती रही है. न्यू डेमोक्रेटिट पार्टी ट्रूडो सरकार का समर्थक है. इस पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह हैं. वह खालिस्तानियों के बड़े समर्थक रहे हैं. ट्रूडो की सरकार बनाने के लिए 10 सांसदों का समर्थन चाहिए था, जगमीत सिंह ने इस कमी को पूरी की थी. एनडीपी के 25 सांसद जीतकर सदन पहुंचे थे.

पर्यवेक्षक मानते हैं कि घरेलू राजनीति के चलते ट्रूडो खालिस्तानियों का समर्थन हासिल कर रहे हैं. और भारत ने साफ कर दिया है कि हस्तक्षेप का यह भी अर्थ होता है कि आप भारत के हितों के खिलाफ काम करने वालों से संबंध बनाकर आप अपना काम कर रहे हैं.

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Last Updated : Oct 20, 2023, 7:12 PM IST

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