श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा है कि इस साल आतंकी समूहों (Terrorist Groups) में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या हालांकि 85 से गिरकर 69 हो गई है. हालांकि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति' कुछ हद तक जारी है और इस पर रोक लगाने के लिए समाज और एजेंसियों द्वारा और अधिक प्रयास करने की जरूरत है.
सिंह (DGP Dilbag Singh) ने आतंकवाद (Terrorism) का मुकाबला करने के लिए पुलिस बल (Jammu and Kashmir Police) के प्रयासों के बारे में कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में समग्र रूप से कमी देखी गई है. पुलिस ने आतंकवादियों के सहयोगियों के नेटवर्क पर कार्रवाई की और उनमें से 417 को समय-समय पर हिरासत में लिया.
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति
उन्होंने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति है, क्योंकि मैं देख रहा हूं कि कुछ संख्या में युवा (आतंकी समूहों में) शामिल हो रहे हैं. यह सटीक तौर पर 69 है, लेकिन यदि आप इसे पिछले वर्ष की समान अवधि के साथ तुलना करें तो यह 85 थी. आप यहां कमी होने की प्रवृत्ति देखते हैं लेकिन तथ्य यह है कि कुछ संख्या में यह जारी है. हम युवाओं को बरगलाने और युवाओं को कट्टर बनाने के लिए जिम्मेदार लोगों को लक्षित करके इस समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं.
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अभी बहुत कुछ करने की जरूरत
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी सिंह ने कहा कि पुलिस ऐसे तत्वों को निशाना बनाने में एक हद तक सफल रही है, जो युवाओं को आतंकवाद में शामिल करने के लिए जिम्मेदार थे. हालांकि समाज के भीतर से और कुछ अन्य एजेंसियों द्वारा और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि युवा विनाश के रास्ते से दूर रहें. इसलिए सरकार की सभी संबंधित एजेंसियों को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है.
बड़ी संख्या में हुई घर वापसी
सिंह ने कहा कि इस संबंध में कुछ अच्छी चीजें हुई हैं क्योंकि आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए एक बहुत बड़ी संख्या में अपने घरों को छोड़ने वाले युवाओं को वापस लाया गया है. इनकी संख्या 30 है और वे अपने परिवारों में मिल गए हैं. पुलिस में जनता का विश्वास बहुत ही सुखद है, कोई भी यदि लापता है तो जनता पुलिस को सूचित कर रही है. विशेष रूप से माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को वापस लाने में मदद के लिए पुलिस को जानकारी देना अच्छी बात है.