पटना:बिहार के सहरसा के बनगांव के निवासी 30 वर्षीय दिलखुश कुमार प्रदेश के उद्यम जगत में इन दिनों जाना पहचाना नाम है. युवाओं में स्टार्टअप का प्रचलन जोरों पर है और जीवन में कुछ नया मुकाम हासिल करने के लिए युवा रिस्क लेने से हिचक नहीं रहे हैं. इसी का उदाहरण है दिलखुश कुमार जो 12वीं पास हैं और रोजगार के लिए कभी इन्हें दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाना पड़ा था. फिर वहां से बिहार लौटे और यहां सड़कों पर सब्जी बेचने की नौबत तक आ गई.
सहरसा के दिलखुश बने युवाओं के लिए प्रेरणा: आज दिलखुश RodBez कंपनी के मालिक हैं. करोड़ों का कारोबार है. कभी बचपन में इन्हें किसी पार्टी फंक्शन में जाने के लिए कपड़े नहीं होते थे और दोस्तों से उधार मांग कर कपड़े पहनते थे. लेकिन आज उनके पास ऑडी, होंडा सिटी जैसी कई लग्जरियस गाड़ियां हैं.
ड्राइवर पिता के बेटे हैं करोड़ों की कंपनी के मालिक: दिलखुश कुमार बताते हैं कि उनके पिताजी बस के ड्राइवर थे. पूरा बचपन गांव में बीता है और पढ़ाई लिखाई भी गांव में ही हुई है. पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, किसी तरह इंटर पास किया. एक ड्राइवर के बेटे थे तो ड्राइविंग का हुनर जानते थे. ऐसे में 12वीं पास करने के बाद परिवार की गरीबी की वजह से कमाने के लिए दिल्ली जाना पड़ा.
"दिल्ली में नया होने की वजह से कोई मुझे अपनी कार/गाड़ी चलाने के लिए नहीं देता था. लोग कहते थे तुम्हें यहां का ट्रैफिक नियम नहीं पता. बिना काम के दिल्ली में रहना मुश्किल हो गया था. इसके बाद मैंने रिक्शा चलाना शुरू किया. रिक्शा चलाकर दिल्ली की गलियों को नापा. लेकिन 15-20 दिन ही मैंने रिक्शा चलाया था कि तबीयत खराब हो गयी और घर वापस लौटना पड़ा."- दिलखुश कुमार, उद्यमी
ड्राइविंग का काम करते हुए जनरेट हुआ आइडिया: दिलखुश ने बताया कि जब वह बिहार लौट तो यहां उन्होंने ड्राइविंग का काम शुरू किया और विभिन्न लोगों के यहां ड्राइविंग का काम किया. इसी दौरान कुछ रियल स्टेट में संपर्क हुआ तो रियल स्टेट में भी हाथ आजमाया. कई चीजें नया करने की कोशिश की रही, जिसमें काफी में असफलता भी हाथ लगी.
कई असफलताओं के बाद मिली मंजिल: दिलखुश ने बताया कि असफलताओं के बाद रिश्तेदार भी बोलते थे कि ड्राइवर का बेटा ड्राइवर ही बनेगा, ड्राइवरी ही करो. लेकिन बचपन से ही मेरा सपना कुछ नया और अपना करने की थी. इसी दौरान मुझे ट्रांसपोर्ट के सेक्टर में सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर काम करने का एक ख्याल आया और इस दिशा में काम शुरू किया.
दो कंपनी के CEO हैं दिलखुश : दिलखुश शुरुआत में 2016 में आर्या-गो नाम से कंपनी कुछ लोगों के साथ मिलकर खड़ी की. यहां उन्हें काफी सफलता मिली और बाद में उन्होंने अपना शेयर निकालकर जुलाई 2022 में रोडबेज कंपनी की शुरुआत की. वह देखते थे कि पटना जैसे शहरों में तो अलग-अलग कंपनियों है जो लोगों को टैक्सी उपलब्ध करा रही है.
बिहार की बड़ी कंपनी है दिलखुश की रोडबेज: लेकिन इंटरसिटी ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं थी. किसी को पटना से दरभंगा जाना है अथवा किसी को चंपारण से पटना आना है तो इसके लिए कोई सर्विस प्रोवाइडर नहीं था. यहीं से उन्होंने रोडबेज कंपनी बनाई और हजारों लोगों को अपने से जोड़कर इंटरसिटी ट्रांसपोर्टेशन के लिए लोगों को नई सुविधा उपलब्ध कराई.
जानें क्या है वन वे सर्विस: पटना में कई टैक्सी सर्विसेज चल रही है, ऐसे में रोडबेज कैसे अलग है इस सवाल पर दिलखुश ने बताया कि उनका सर्विस वन-वे टैक्सी है. किसी को पटना से पूर्णिया के लिए बुकिंग करनी है तो उसे फ्यूल चार्ज सिर्फ पटना से पूर्णिया तक का ही देना होगा. बाकी कंपनियां जाने और आने दोनों का भाड़ा कस्टमर से ले लेती हैं.
1 लाख से अधिक हैं यूजर्स:बाकी कंपनियों में पटना से पूर्णिया का भाड़ा ₹9500 आएगा तो उनके यहां ₹5200 आएगा. राइड बुकिंग उनके एप्लीकेशन से होती है और उनकी सर्विस बिहार में ही है. 1 लाख से अधिक लोगों ने उनके एप्लीकेशन को डाउनलोड करके रखा है और बीते 4 महीने में 50000 से अधिक लोगों ने इसे डाउनलोड किया है. रेटिंग भी बेहतरीन मिला हुआ है.
कंपनी की वैल्यू 10 करोड़: लगभग 60 से 70 लाख रुपए की लागत से यह कंपनी खड़ी की गई है और 2 महीने में ही मार्केट से 4 करोड़ के करीब इन्वेस्ट कराया. आज 10 करोड़ से अधिक का वैल्यूएशन है. रुकनपुरा में एक वर्क स्पेस में उनका काम चलता है जहां लगभग 19 लोग जुड़े हुए हैं जो एप्लीकेशन पर कस्टमर के ट्रैफिक को हैंडल करते हैं. उनकी कंपनी की खासियत यही है कि कोई कस्टमर उनका राइड बुक करता है तो बुकिंग के समय जो भाड़ा तय हो जाता है, वही भाड़ा रहता है.