इंदौर (मध्य प्रदेश) : राफेल मामले को लेकर फ्रांस में न्यायिक जांच शुरू होने संबंधी रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि जंगी जहाजों के इस सौदे में कमीशन के लेन-देन के जरिये बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है.
उन्होंने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि वह राफेल मामले की जांच के लिए ठीक उसी तरह संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करके दिखाएं, जिस तरह बोफोर्स कांड को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जेपीसी बनाई थी.
सिंह ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, फ्रांस में राफेल प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है. लेकिन भारत में जिस भी कमीशनखोर ने इस सौदे में पैसा लिया, वहां (भारत) कोई जांच नहीं हो रही है.
उन्होंने राफेल विमान सौदे को बड़े भ्रष्टाचार का प्रकरण बताते हुए कहा, मैं अगर राफेल मामले की तुलना बोफोर्स कांड से करूं, तो बोफोर्स कांड में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने स्वयं जेपीसी का गठन कर दिया था.
सिंह ने कहा, अगर मोदी में साहस है, तो वह राफेल मामले में जेपीसी बना दें. हमारे पास इस मामले में कई सवाल हैं. अगर जेपीसी बन गई, तो हमें ये सवाल करने का अवसर मिल जाएगा.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में बाद की सरकारें भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफोर्स कांड में भ्रष्टाचार का एक भी आरोप साबित नहीं कर सकीं.
उन्होंने पेट्रोल-डीजल समेत आम जरुरत की चीजों की बढ़ती महंगाई को लेकर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा, इस सरकार ने गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर करों का बोझ बढ़ा दिया, जबकि बड़े उद्योगपतियों और कॉरपोरेट के लोगों से कर वसूली घट गई है. (कांग्रेस नेता) राहुल गांधी की बात सही साबित हुई है कि यह सूट-बूट की सरकार है.
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मीडिया के साथ बातचीत से पहले, सिंह कांग्रेस के स्थानीय कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए. इस सभा में उन कांग्रेस नेताओं को याद किया गया जिनकी कोविड-19 से मौत हुई है.
सभा में राज्यसभा सदस्य ने केंद्र सरकार पर महामारी के संकट से निपटने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और 56 इंच के सीने को लेकर प्रधानमंत्री के बहुचर्चित बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, हमेशा 56 इंच का सीना होने की बात कहने वाले मोदी निर्णय लेने के बाद विचार करते हैं कि अब क्या किया जाए?
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी, माल एवं सेवा कर (जीएसटी), कश्मीर समस्या और कोविड-19 संकट को लेकर जल्दबाजी में निर्णय किए जिनका खामियाजा देश के नागरिकों को भुगतना पड़ा.