दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

महामारी के बीच कैसे सुनिश्चित करें बेहतर डिजिटल मानसिक सेहत - mental disorder corona pandemic

कोरोना महामारी के एक ओर इंसान जहां शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो रहा है, तो दूसरी ओर मानसिक सेहत भी प्रभावित हो रही है. तकनीक के इस दौर में इंसान भले ही इंटरनेट की मदद से वर्चुअल तरीके से एक दूसरे के संपर्क स्थापित कर पा रहा हो, लेकिन मानसिक सेहत पर कई दुष्प्रभाव भी पड़ रहे हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह है कि महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में इंसान खुद को मानसिक रूप से कैसे स्वस्थ रखे ? जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट

बेहतर डिजिटल मानसिक सेहत
बेहतर डिजिटल मानसिक सेहत

By

Published : Apr 25, 2021, 4:03 PM IST

हैदराबाद :एक ऐसे समय में जब इंसान अत्याधुनिक डिजिटल माध्यमों से घिरा हुआ है, उसकी सेहत ठीक और गुणवत्तापूर्ण कैसे रहे यह मानो यक्षप्रश्न बन गया है. इंसान डिजिटल माध्यमों से एक दूसरे से कनेक्ट तो हो रहा है, हमारे पास डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य भी है, लेकिन हम इसकी गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित करें, यह बड़ा सवाल है.

एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक आबादी का एक चौथाई, जीवन के किसी न किसी मोड़ पर मानसिक विकार से प्रभावित होता ही है. एक आंकड़े पर नजर डालें तो मानवता बहुत बड़ी कीमत चुका रही है. दरअसल, हर साल लगभग 8,00,000 लोग आत्महत्या करते हैं. आत्महत्या युवा लोगों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है.

20 साल में अरबों के नुकसान की आशंका
अनुपचारित मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित लोग अपनी क्षमता का एहसास नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले बड़े पैमाने पर सामने आते हैं. साल 2011 और 2030 के बीच, दुनिया भर में मानसिक विकारों से जुड़ी संचयी आर्थिक उत्पादन (cumulative economic output) में लगभग 16.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि होने का अनुमान है.

सेहत ठीक न रहने का आर्थिक पहलू
मानसिक स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण एक अनुमान के मुताबिक नियोक्ताओं को प्रति वर्ष 2,000 डॉलर प्रति कर्मचारी का बोझ उठाना पड़ता है. ऐसा प्रेजेंटिज्म के कारण (presenteeism) होता है, क्योंकि इस स्थिति में कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित तो होता है, लेकिन वह वर्तमान में लेकिन ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होता है. इस राशि में कर्मचारियों की अनुपस्थिति और अनावश्यक मौजूदगी से जुड़ी लागत भी शामिल है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत के संदर्भ में देखने पर यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5% तक भी हो सकता है.

अभूतपूर्व डिजिटल नवाचार
गौरतलब है कि कोरोना महामारी (COVID ​​-19) ने एक अभूतपूर्व दर से डिजिटल नवाचार को गति दी है, सेवाओं का तरीका बदलने के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली में भी बदलाव आया है. अत्याधुनिक तकनीक के साथ लोगों को आगे बढ़ने का एक बड़ा अवसर भी मिला है.

नए युग की शुरुआत
कृत्रिम बुद्धिमत्ता / मशीन लर्निंग (Artificial Intelligence / Machine Learning), डिजिटल रियलिटी (DR), ब्लॉकचेन और क्लाउड जैसी विघटनकारी तकनीक के कारण उपभोक्ताओं और उद्योगों के लिए उत्पादकता और संचालन के एक नए युग की शुरुआत होती दिख रही है.

प्रणाली में सुधार का मौका
सात विघटनकारी तकनीक ऐसे हैं जिनसे वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार करने का जबरदस्त अवसर मिलता है. यह अधिक सस्ते भी होते हैं, जिस कारण इन तकनीकों तक आसानी से पहुंच संभव हो पाती है. विशेष रूप से इन तकनीकों की पहुंच उन देशों और लोगों तक भी हो पा रही है, जहां तक ये अत्याधुनिक सेवाएं और तकनीक अभी तक नहीं पहुंच सके हैं.

साक्ष्य आधारित एप न होना चिंताजनक
गूगल प्ले स्टोर और एप्पल के एप स्टोर (Apple iOS) में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित 10,000 से अधिक एप उपलब्ध हैं. इन 10,000 एप्स के बारे में एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि वर्तमान में यह साक्ष्य-आधारित नहीं हैं. इस पर बहुत यह ध्यान दिया जाना चाहिए.

बेहतर वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य हासिल करने की राह में चुनौतियां

  • कलंक, भेदभाव की आशंका. कानूनी और चिकित्सा ढांचा न होना.
  • निष्क्रियता और चिकित्सा माध्यमों तक पहुंच की कमी.
  • बहुत पुरानी मानसिक स्वास्थ्य समस्या, जिसकी अनदेखी की गई हो.
  • ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली जो तुलनात्मक रूप से छोटी और अन्य विभागों से अलग हो.
  • नैदानिक (clinical) ​​और वैज्ञानिक ज्ञान में होने वाले अंतर.
  • मानसिक स्वास्थ्य के निर्धारकों का लगातार बदलना.

डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य के प्रत्यक्ष लाभ

  • नए अनुसंधान और उपचार के विकल्प का सामने आना.
  • कलंक और भेदभाव का जोखिम कम होना.
  • पहुंच, उपलब्धता और सामर्थ्य का बढ़ना.
  • मानसिक सेहत से जुड़े केंद्रों की संख्या में वृद्धि.
  • मौजूदा उपचारों की तुलना में उससे अधिक क्लिनिकल प्रभावकारिता हासिल करना.
  • सेवा का निजीकरण और बड़े पैमाने पर इसकी सुनिश्चितता (precision).
  • उपभोक्ता सशक्तिकरण के माध्यम से अधिक से अधिक संतुष्टि.
  • डेटा-आधारित और परिणाम-केंद्रित निर्णय लेना.

ABOUT THE AUTHOR

...view details