नई दिल्ली :एलओसी पर जारी गतिरोध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत पिछले 30-40 वर्षों में चीन के साथ अपने संबंधों के सबसे कठिन दौर में है. जयशंकर ने कहा कि चीन पूरी तैयारी के साथ 10 हजार सैनिकों के साथ बॉर्डर पर आया है.
लोवी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक माइकल फुलिलोव द्वारा आयोजित एक बातचीत के दौरान, विदेश मंत्री ने 15 जून की गलवान वैली की घटना के बारे में बात की और कहा कि जब सैनिक सीमा पर एक दूसरे के इतने करीब होते हैं, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कुछ गलत हो गया.
भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए बहुत स्पष्ट है. चीन के साथ सहयोग बनाए रखने में भारत के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा, '1975 के बाद पहली बार, सीमा पर भारत ने अपने 20 सैनिक खो दिए. इसने राष्ट्रीय भावना को बदल दिया.'
हम सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे थे
विदेश मंत्री ने कहा कि लगभग तीन दशकों के उतार चढ़ाव के बीच हमारा संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा था. जबकि 30 साल पहले दोनों देशों के बीच वास्तव में कोई व्यापार नहीं था, आज चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है. उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कई समझौतों के बावजूद, चीन सीमा पर हजारों सैनिकों को लाया था. जयशंकर ने जिक्र किया कि हालांकि चीन इसके और ही कारण बताता है, लेकिन वास्तविकता में संबंधों पर असर पड़ा. जयशंकर ने माना कि संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ा, इन्हें कैसे पटरी पर लाया जाए ये बड़ा मुद्दा है. उन्होंने दोहराया कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए बहुत स्पष्ट है.
बता दें कि गलवान में हुई हिंसा में 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत के मुंहतोड़ जवाब के बाद चीन के 40 से अधिक सैनिकों के मारे जाने की खबरें भी सामने आई थीं. हालांकि, चीन ने आधिकारिक रूप से सैनिकों की मौत को स्वीकार नहीं किया.
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रिपोर्टों के अनुसार मंगलवार को एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने कहा था कि दोनों देश सीमा पर तनाव को कम करने के लिए बराबर संपर्क बनाए हैं. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था कि चीन और भारत सीमा मुद्दे पर राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से संवाद कर रहे हैं तथा हम सीमा पर गतिरोध और अधिक घटाने के लिए काम कर रहे हैं.