नई दिल्ली :अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडाणी के स्वामित्व वाले अडाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयर गिर रहे हैं. गुरुवार को भी इसके शेयर गिरे. समूह से जुड़ी फर्म अडाणी एंटरप्राइजेज के 20 हजार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) को बुधवार को अचानक रद्द कर दिया गया , जबकि ये 100 प्रतिशत सब्सक्राइब हुआ था. हालांकि समूह की ओर से कहा गया कि 'निवेशकों के हित में ये फैसला किया गया है, उनका पैसा वापस किया जाएगा.' इस बीच 20 हजार करोड़ के एफपीओ को लेकर फोर्ब्स की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें एफपीओ पर सवाल खड़े किए गए हैं. इस पूरे मामले में विपक्ष सरकार को घेर रहा है, वहीं भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट किया है.
ये है फोर्ब्स की रिपोर्ट :दरअसल फोर्ब्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित रूप से शेयरों की हेरफेर में अडाणी ग्रुप की मदद करने वाली दो कंपनियां इस एफपीओ में अंडरराइटर थीं. फोर्ब्स की रिपोर्ट में जिन कंपनियों का जिक्र किया गया है उनमें लंदन बेस्ड इनवेस्ट फर्म एलारा कैपिटल की सहायक कंपनी और एक भारतीय ब्रोकरेज फर्म मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल का नाम है.
कैपिटल का इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड के पास करीब 3 अरब डॉलर के पब्लिकली शेयर हैं. इनमें अडाणी इंटरप्राइजेज के शेयर भी हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल भारतीय ब्रोकरेज फर्म है. यह 2016 से आंशिक रूप से निजी तौर पर अडाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में है.
रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी एंटरप्राइजेज के प्रकाशित ऑफरिंग स्टेटमेंट के अनुसार, शेयर की पेशकश में एलारा कैपिटल की जिम्मेदारियों में 'सभी प्रचार सामग्री का प्रारूपण और अनुमोदन' शामिल था, जबकि मोनार्क को निवेशकों के लिए 'गैर संस्थागत विपणन' का काम सौंपा गया था. एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल की भागीदारी इस बारे में सवाल उठाती है कि क्या अडाणी के किसी भी निजी फंड को 2.5 अरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने में मदद के लिए लगाया गया था.
अडाणी एंटरप्राइजेज ने एफपीओ वापस लिया : अडाणी एंटरप्राइजेज ने बुधवार को अपने 20 हजार करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की. हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था. समझा जाता है कि अडाणी एंटरप्राइजेज ने यह कदम अमेरिका की शॉर्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उठाया है.
बीएससी के आंकड़ों के अनुसार, अडाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के तहत 4.55 करोड़ शेयरों की पेशकश की गई थी, जबकि इसपर 4.62 करोड़ शेयरों के लिए आवेदन मिले थे. गैर संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों पर करीब तीन गुना बोलियां मिली थीं. वहीं पात्र संस्थागत खरीदारों के खंड के 1.28 करोड़ शेयरों पर पूर्ण अभिदान मिला था. हालांकि, एफपीओ को लेकर खुदरा निवेशकों और कंपनी के कर्मचारियों की प्रतिक्रिया ठंडी रही थी.
रिजर्व बैंक ने बैंकों से अडाणी समूह को दिए कर्ज का ब्योरा मांगा :वहीं,भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋणदाताओं यानी बैंकों से अडाणी समूह को दिए गए कर्ज का ब्योरा मांगा है. बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी. हालांकि बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि बड़े ऋण संबंधी आंकड़ों की जानकारी के तहत आरबीआई नियमित रूप से बैंकों के बड़े कॉरपोरेट उधारकर्ताओं का ब्योरा लेता है. कई बार बैंक गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों के बदले उधार देते हैं और अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के इक्विटी शेयरों की कीमत में भारी गिरावट के चलते गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों की कीमत भी घट सकती है.
उधर, स्विटजरलैंड के ऋणदाता क्रेडिट स्विस ने बुधवार को मार्जिन कर्ज देने के लिए अडाणी समूह की कंपनियों के बॉन्ड को गारंटी के रूप में स्वीकार करना बंद कर दिया. यहीं नहीं क्रेडिट सुईस के बाद अमेरिका के सिटी ग्रुप ने भी अडाणी समूह की कंपनी की लैंडिंग वैल्यू हटा दी है.