नई दिल्ली : शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार लाने के लिए शनिवार (एक जनवरी) से 100 दिवसीय पुस्तक पठन अभियान (100 day Reading Campaign) 'पढ़े भारत' की शुरुआत की. इसका मकसद छात्रों में रचनात्मकता, चिंतन, शब्दावली के साथ-साथ मौखिक तथा लिखित दोनों तरह से अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करना है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने ट्वीट किया, 'पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और यह संज्ञानात्मक भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम है.'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकों को नियमित रूप से पुस्तक पढ़ने के सुझाव से प्रेरित होकर मैं जीवन पर्यंत पुस्तक पढ़ने की आदत विकसित करने को प्रतिबद्ध हूं.
प्रधान ने अपने ट्वीट के साथ पांच पुस्तकों की सूची भी जारी की जिन्हें उन्होंने पढ़ने के लिए चुना है. इसमें जेम्स क्लीन रचित एटोमिक हैबिट, रस्किन बांड की अ लिटिल बुक आफ हैप्पीनेस, स्वामी विवेकानंद की रिफ्लेक्शन्स, के राधानाथ राय की चिल्का और फकीर मोहन सेनापति की प्रायश्चित शामिल है.