नई दिल्ली :हमारे हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाए जाने वाले त्यौहार को 'धनतेरस' या 'धनत्रयोदशी' कहा जाता है. इस दिन से दीपावली के लिए शुरू होने वाले त्यौहारों की श्रृंखला शुरू होती है. इसे अन्य धर्मों के लोग भी अन्य नाम से मनाते हैं. जैन आगम में भी धनतेरस का महत्व है. इस दिन को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है.
हमारे धर्म में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनवंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था. धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को अजर अमर बना दिया. भगवान धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुयीं थीं. इसीलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है.
हमारे धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य कहे जाते हैं. इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख अर्थात् स्वास्थ्य लाभ मिलता है. भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार कहे जाते हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी के रुप में अवतार लिया था.
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