नई दिल्ली :पूरे देश में मंगलवार को धन त्रयोदशी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर चारों तरफ रौनक ही रौनक दिखाई पड़ रही है. वहीं, श्री लोकमंगल ज्योतिष अनुसंधान संस्थान के निदेशक औऱ ज्योतिषाचार्य राजेश जी महाराज ने बताया कि प्रकाश और उल्लास का महापर्व दीपावली हमारे जीवन में उल्लास एवं प्रसन्नता तथा सुख, शान्ति समृद्धि को प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि इस पर्व में भारत वर्ष में सर्वत्र रंग बिरंगी लाइटे और दीपक ही दीपक दिखाई देते हैं. दीपावली का पर्व धन-प्राप्ति अनुष्ठानों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. बता दें, यह पर्व अकेले नहीं आता है. इसके साथ ही आते हैं पांच महान पर्व, जिन्हें हम पंच पर्व के रूप में मनाते हैं.
उन्होंने कहा कि इन पंच पर्वाें का हमारे सतानत हिन्दू धर्म में सर्वाधिक महत्व है. इन पर्वो में सर्वप्रथम आता है 'धनतेरस' इस धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. आज के ही दिन भगवान धनवंतरी का अवतरण हुआ था. आज के दिन सोना, चंदी, शेयर, बांड्स आदि खरीदना शुभ माना जाता है. यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का है, आइये जानते हैं-
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं इस दिन लोग सतैल स्नान करते हैं. व्यापारी लोग अपना हिसाब किताब पूर्ण करते हैं. बही खाता तथा रोकड़ एकत्र कर पूजन करते हैं. आज के दिन से पांच दिन तक बराबर दीप माला जलाई जाती है. हम कई कारणों से परेशान रहते हैं. शनैः-शनैः यह व्यथा रोग का रूप ले लेती है. यह व्यथा सामाजिक हो या किसी अन्य प्रकार की हमारे दैनिक जीवन में इसका प्रभाव हमारे शरीर पर अवश्य पड़ता है.
कोरोना की महामारी से सम्पूर्ण जगत अभी उबर ही रहा है. इस महामारी से निजात के लिए धन त्रयोदशी के दिन रूद्र रोग नाशाय धन्वन्तर्यै फट इस महामंत्र का 108 बार पूर्ववाभिमुख होकर जप करना लाभप्रद्र रहेगा.
पूजन का शुभ मुहूर्त-श्री अन्नपूर्णा काशी विश्वनाथ पंचांग के अनुसार- अबकी बार 02 नवम्बर, 2021 दिन मंगलवार को धन तेरस यानी धन त्रयोदशी पर्व सर्वत्र मनाया जायेगा. त्रयोदशी तिथि 3 नवम्बर की सुबह 09:07 बजे तक रहेगी.
आज के दिन मध्यान्न 03:00 बजे से 04:30 बजे तक राहुकाल भी रहेगा. सनातन धर्म प्रेमी लोगों से आग्रह है कि इस काल में किसी प्रकार की खरीदारी से बचें. प्रातः 11:44 बजे तक उत्तरा फालगुनी नक्षत्र रहेगा. तत्पश्चात हस्त नक्षत्र में पूजन आदि करना लाभप्रद रहेगा.
धनवंतरी पूजन का शुभ समय-धनत्रयोदशी पर्व में कुबेर लक्ष्मी का पूजन वृष लग्न में करना शुभप्रद होगा. दिन के 12:05 बजे से 01:30 बजे दोपहर तक एवं सायं 07:30 से रात्रि. 09:00 बजे के बीच दीपदान, धनवंतरी पूजन, लक्ष्मी कुबेर आदि का पूजन करना शुभकारी होगा.