चारधाम यात्रा : समय कम और चुनौतियां ज्यादा, क्यों HC जाने में देर कर रही धामी सरकार, जानें मामला
चारधाम यात्रा के समापन लिए एक से डेढ़ माह का समय बाकी बचा हुआ है. दीपावली से चारधामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. अगर सरकार ने समय रहते ये सारी समस्याएं नहीं सुलझाईं तो आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.
चारधाम यात्रा
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Published : Sep 29, 2021, 7:45 AM IST
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Updated : Sep 29, 2021, 3:44 PM IST
देहरादून: चारधाम यात्रा में प्रतिदिन तय की गई तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़वाने के लिए धामी सरकार फिर से हाईकोर्ट जा रही है. सरकार याचिका दाखिल कर कोर्ट से तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाने का आग्रह करेगी. बता दें कि केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम में सीमित संख्या तय होने के कारण कई तीर्थयात्रियों को बिना दर्शन किए ही वापस लौटना पड़ रहा है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीते 16 सितंबर को चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी थी और राज्य सरकार को कोविड-19 प्रोटोकॉल के सख्त अनुपालन के साथ यात्रा संचालित करने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा कि था कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड निगेटिव जांच रिपोर्ट या वैक्सीन प्रमाणपत्र लाना अनिवार्य होगा.
चारधाम यात्रा को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश.
क्यों हाईकोर्ट जा रही सरकार: उत्तराखंड में 18 सितंबर से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. यात्रा शुरू होने के बाद देश भर के श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर पंजीकरण कराया. लेकिन, हकीकत यह है कि फिलहाल पंजीकृत श्रद्धालुओं में करीब 50 फीसदी ही दर्शन-पूजन को धाम पहुंच रहे हैं. ऐसे में दोपहर बाद धाम वीरान हो जा रहे हैं. जिसकी वजह से राज्य सरकार चिंतित है. ऐसे में धामी सरकार चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट जा रही है.
कड़े नियम राह में रोड़ा:नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को लेकर सशर्त अनुमति दी थी. लिहाजा सरकार के कड़े नियमों के तहत चारधाम पर आने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन सहित दूसरी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ रहा है. जिसमें देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल और बीकेटीसी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना भी शामिल है.
धामी सरकार की परेशानियां.
राज्यवासियों के लिए सिर्फ एक जगह बीकेटीसी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य किया गया है. ऐसे में जब भी यात्री चारधाम की यात्रा पर जाते हैं तो ना सिर्फ उन्हें व्यवस्थाओं के अभाव के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि तमाम जगहों पर चेकिंग की प्रक्रिया से भी जूझना पड़ता है. ऐसे में श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन के बावजूद भी यात्रा पर आने से बच रहे हैं.
सीमित संख्या से भी परेशानी:हाईकोर्ट ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800, बदरीनाथ में 1200, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों की दर्शन की अनुमति दी है. यात्रियों के रुझान के चलते रोजाना तय की गई संख्या के सापेक्ष 15 अक्टूबर तक की बुकिंग पहले ही हो चुकी है. ऐसे में चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की बुकिंग की डेट अभी नहीं मिल रही है. जिसके चलते श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ तमाम श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर आने के लिए जल्द से जल्द बुकिंग का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, तमाम श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो रजिस्ट्रेशन कराने के बावजूद दर्शन करने नहीं पहुंच रहे हैं.
हाईकोर्ट जाने की तैयारी में धामी सरकार.
लापरवाही ने बढ़ाई मुश्किलें:प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू हुए महज 10 दिन ही हुए थे कि सीएम धामी ने यात्रियों की संख्या बढ़ाए जाने को लेकर हाईकोर्ट जाने का बयान देकर सबको चौंका दिया. इस पूरे मामले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है.
दरअसल, जब 16 सितंबर को हाईकोर्ट में चारधाम की यात्रा को संचालित किए जाने की सुनवाई हो रही थी. उस दौरान आनन-फानन में शासन के अधिकारी सिर्फ चारधाम यात्रा शुरू करने की बात पर जोर दे रहे थे. किसी का भी ध्यान श्रद्धालुओं की संख्या की तरफ नहीं था. ऐसा इसीलिए, क्योंकि लंबे समय से चारधाम यात्रा बंद होने की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ना लाजमी है. यही नहीं, पिछले साल की तर्ज पर ही शासन ने सीमित संख्या से चारधाम यात्रा शुरू करने की पैरवी हाईकोर्ट में की. जिसका नतीजा यह हुआ कि अब दोबारा राज्य सरकार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ पर रहा है.
अव्यवस्थाओं को स्वीकार कर रही सरकार:चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं का दौर जारी है. यात्रा शुरू होने के 10 दिन बाद भी प्रदेश भर में यात्रा से जुड़ीं अव्यवस्थाओं की खबरें सामने आ रहीं हैं. सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस बात को मान रहे हैं कि चारधाम यात्रा में व्यवस्थाओं का अभाव है. जिसके चलते उन्होंने मुख्य सचिव को यह निर्देश दिए हैं कि चारधाम से संबंधित सभी जिलाधिकारियों को व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने के निर्देश दें.
क्यों देरी कर रही सरकार:चारधाम यात्रा को खत्म होने में डेढ़ माह का समय बचा हुआ है. बावजूद इसके राज्य सरकार हाईकोर्ट नहीं जा पा रही है. क्योंकि अगर राज्य सरकार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाती है तो उस दौरान हाईकोर्ट को चारधाम में की गई व्यवस्थाओं संबंधित विस्तृत जानकारी उपलब्ध करानी होगी.
ऐसे में उत्तराखंड शासन चारधाम में की गई व्यवस्थाओं से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर रहा है. जिस रिपोर्ट में उत्तराखंड सरकार यह बताएगी कि चार धाम में व्यवस्थाएं मुकम्मल हैं और कोविड-19 के नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. लिहाजा हाईकोर्ट तय सीमित संख्या को बढ़ाने की अनुमति दे.
दो चरणों में चलती है चारधाम यात्रा:हर साल अप्रैल-मई महीने में शुरू होने वाली चारधाम की यात्रा मुख्य रूप से दो चरणों में संचालित होती है. क्योंकि जून अंत से मॉनसून प्रदेश में दस्तक देता है. ऐसे में चारधाम यात्रा के कपाट खुलने के बाद से ही पहले चरण के तहत चारधाम की यात्रा संचालित होती है और मॉनसून सीजन के दौरान भी चारधाम यात्रा का संचालन होता है.
लेकिन उस दौरान यात्रियों की संख्या काफी कम रहती है. लिहाजा मॉनसून सीजन समाप्त होने के बाद एक बार फिर चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा होता है. ऐसे में वर्तमान समय की बात करें तो फिलहाल मॉनसून सीजन समाप्त होने की कगार पर है. लिहाजा चारधाम यात्रा अब दूसरे चरण में संचालित होने जा रही है. ऐसे में अगर सीमित संख्या को बढ़ाया नहीं गया और व्यवस्थाओं को मुकम्मल नहीं किया गया तो चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रहने की संभावना है.
कांग्रेस ने उठाए सवाल:चारधाम यात्रा के लिए तय किए गए सीमित संख्या को बढ़ाए जाने के लिए कांग्रेस सहित सत्ता पक्ष के भी नेता यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने की पैरवी कर रहे थे. भाजपा नेता अजेंद्र अजय इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं. वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि राज्य सरकार जानबूझकर सीमित संख्या को बढ़ाना नहीं चाहती है. क्योंकि चारधाम की व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं है, जिसके चलते राज्य सरकार नहीं चाहती कि श्रद्धालु बढ़-चढ़कर चारधाम की यात्रा पर आएं.
क्यों हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में किया हस्तक्षेप:वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि चारधाम यात्रा में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप करने की मुख्य वजह महाकुंभ में हुआ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा है. क्योंकि महाकुंभ के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को रोजाना 50 हजार टेस्ट के निर्देश दिए थे. लेकिन टेस्ट तो नहीं हुए, उल्टे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. जय सिंह रावत के मुताबिक शासन में बैठे अधिकारी जब अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो हाईकोर्ट आगे आकर चारधाम यात्रा को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने की बात कह रहा है.
यही वजह है कि हाईकोर्ट ने सीमित संख्या में ही चारधाम यात्रा को संचालित करने की बात कही. जिसके चलते अब उत्तराखंड सरकार तक सीमित संख्या को बढ़ाने के लिए एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है.
समय कम चुनौतियां ज्यादा: चारधाम यात्रा के लिए एक से डेढ़ माह का समय बचा हुआ है. दीपावली से चारधामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में सरकार और यात्रा से जुड़े लोगों के पास समय कम है. चुनावी साल में राज्य सरकार के लिए कम समय में भी यात्रा को सुचारू रुप से चलाना बड़ी चुनौती है. पहले देवस्थानम बोर्ड का विरोध और अब यात्रियों के लिए बनाए गए नियम राज्य सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. अगर सरकार ने समय रहते ये सारी समस्याएं नहीं सुलझाई तो आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.
28 सितंबर को चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या
बदरीनाथ
675
केदारनाथ
602
यमुनोत्री
400
गंगोत्री
417
कुल संख्या
2094
खुल चुके हैं चारों धामों के कपाट: गौर हो, 14 मई को यमुनोत्री धाम, 15 मई को गंगोत्री धाम, 17 मई को केदारनाथ धाम और 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे. लेकिन कोरोना की वजह से चारधाम की यात्रा संचालित नहीं हो पाई थी. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार पहले की तरह चरणबद्ध तरीके से ही यात्रा को शुरू हो करती है या फिर समय कम होने की वजह से पिछली बार की तरह गाइडलाइनों में कुछ बदलाव करती है, क्योंकि चारधाम यात्रा अब मुश्किल से डेढ़ महीने ही चल पाएगी. दीपावली से पहले चारधामों के कपाट बंद हो जाएंगे.