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Devshayani Ekadashi 2022 : इस दिन से नहीं होंगे शुभ कार्य, जानें कब शुरू होंगे मांगलिक आयोजन

ज्योतिषाचार्य अमर डिब्बावाला के अनुसार देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2022) से ही चातुर्मास का प्रारंभ होता है, चार माह तक शुभ कार्यो की रोक, देवउठनी एकादशी से हटेगी. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि फिर चातुर्मास के बाद देवउठनी एकादशी के साथ विवाह और मांगलिक (Subh vivah muhurata) आयोजन के मुहूर्त आएंगे.

Devshayani Ekadashi 2022
देवशयनी एकादशी व्रत 2022 मुहूर्त

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Published : Jul 9, 2022, 5:07 PM IST

उज्जैन: रविवार 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है जो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी पर होती है, मान्यता है इस दिन से सभी शुभ कार्यों पर आगामी चार माह तक रोक लगा दी जाती है जिससे शादी विवाह जैसे अन्य मांगलिक आयोजन नहीं होते. मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव को सृष्टि का भार सौंप योग निद्रा में चले जाते है जिसे देवशयनी एकादशी कहा गया है. एकादशी पर भगवान विष्णु के पूजन का अत्यधीक महत्व है, विख्यात ज्योतिषाचार्य अमर डिब्बावाला के अनुसार एकादशी से ही चातुर्मास का प्रारंभ होता है, चार माह तक शुभ कार्यो की रोक देवउठनी एकादशी से हटेगी.

ज्योतिषाचार्य के अनुसार चातुर्मास का व्रत संकल्प एकादशी के दिन से ही आरंभ हो जाता है. इस बार देवशयनी एकादशी (Devshayani ekadashi 2022) पर गुरु व शुक्र दोनों तारे उदित हैं. इस दृष्टि से चातुर्मास का व्रत किया जा सकता है. कुछ ग्रंथकारों ने गुरु-शुक्र के अस्त के बाद भी चातुर्मास के व्रत को करने की बात कही है. चातुर्मास में शैव, गाणपत्य, शाक्त, वैष्णव सभी को व्रत निवेदन करना चाहिए. इसमें भगवान महाविष्णु की पूजा का विधान है और चातुर्मास पर्यंत प्रतिदिन भगवान विष्णु का शंख से जलाभिषेक करने का विधान शास्त्र में बताया गया है.

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कल से बंद होगी शहनाई की गूंज :पंचांग की गणना के अनुसार इस बार जून और जुलाई माह में विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त में 13 मुहूर्त थे. इस महिने का आखिरी मुहूर्त 9 जुलाई शनिवार को नवमी के साथ पूर्ण होगा. 10 जुलाई को देव शयनी एकादशी के साथ ही विवाह की गूंज रुक जाएगी. फिर चातुर्मास के बाद 4 नवम्बर देवउठनी एकादशी के साथ विवाह के मुहूर्त आएंगे. नवम्बर माह में 4,26,27,28 तारीखों के बाद दिसम्बर में 2,3,4,7,8,9,12 ,13,14,15 को विवाह के शुभ मुर्हुत हैं.

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इनका सेवन है निषेध: चातुर्मास में श्रावण में शाक, भाद्रपद में दही, अश्विन में दूध, कार्तिक में द्विदल को त्याग देना चाहिए. यही नहीं मांस, मदिरा, चर्म का जल, जंभीरी, बिजोरा, भगवान विष्णु को निवेदन किए बिना ही लिया भोग, जला हुआ अन्न, मसूर आदि का त्याग कर देना चाहिए. वही शाक, बैंगन, कलिंग का फल, अनेक बीजों का फल, बिना बीज का फल, मूली, कुष्मांड, आंवले, इमली, शैय्या पर शयन, शहद, पटोल, उड़द, कुलथी, सफेद सरसों यह सभी त्याग देना चाहिए.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि फिर चातुर्मास के बाद देवउठनी एकादशी के साथ विवाह के मुहूर्त आएंगे. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के जागृत रहते समय विवाह, यज्ञोपवित का विशेष मुहूर्त, समय एवं योग रहते हैं. देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास लग जाते हैं. चातुर्मास में भगवत आराधना, भागवत पारायण, साप्ताहिक पारायण, तीर्थ यात्रा एवं यम-नियम के साथ संयम का संकल्प लेना चाहिए. चातुर्मास में व्रत, जप, तप, नियम, स्वाध्याय का विशेष महत्व है.

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