श्रीनगर :श्रीनगर में संत आदि शंकराचार्य की यात्रा की स्मृति में पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसकी वजह से पूरा कश्मीर घाटी वैदिक मंत्रों के मंत्रोचारण से गूंजायमान है. इस कार्यक्रम को 'वन इंडिया स्ट्रांग इंडिया' द्वारा नागरिक प्रशासन और कश्मीरी हिंदुओं के विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के समर्थन से आयोजित किया जाता है. कश्मीर वैली में सुरक्षा की अनिश्चितता के बावजूद इस वर्ष डल झील के नजदीक प्राचीन शंकराचार्य मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया.
दक्षिण भारत के करीब 200 से ज्यादा संत श्रीनगर में डेरा डाले हुए हैं. विधु शर्मा ने कहा, "कार्यक्रम एक बड़े मंच पर आयोजित किया जाता है. यह महान संत के लिए एक उचित श्रद्धांजलि होगी. उनकी यात्रा ने हिंदू धर्म के दार्शनिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान में बहुत योगदान दिया. यह कश्मीर में था जहां उन्होंने विद्वानों के साथ बहस की थी. कश्मीर हजारों वर्षों से वैदिक परंपराओं और संस्कृति का केंद्र रहा है. केरल के रहने वाले आदि शंकराचार्य ने कश्मीर समेत पूरे भारत की यात्रा की थी. शंकराचार्य ने वेदांत दर्शन को लोकप्रिय बनाया जब भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म था.
बता दें कि श्रीनगर में स्थित शंकराचार्य मंदिर वो कड़ी है, जो सदियों से भारत के सनातन इतिहास की आस्था का केंद्र रहा है. जिस पहचान को मुस्लिम आक्रांता और आधुनिक मुस्लिम आतंकी चाह कर भी मिटा नहीं पाये. हर साल आदि गुरू शंकराचार्य के जन्मदिवस पर ये आस्था केंद्र भारतीय सनातन चेतना का केंद्र बन जाता है. हर वर्ष पूरे देश से श्रद्धालु शंकराचार्य जयंती मनाने श्रीनगर, जम्मू कश्मीर आते हैं. राष्ट्रीय एकता, शांति और एक शक्तिशाली भारत के लिए प्रार्थना करते हैं. इस बार भी देशभर से आये हज़ारों लोग शंकराचार्य पहाड़ी पर एकत्रित हो रहे हैं.
कौन थे आदि शंकराचार्य : आदि शंकराचार्य, जिन्हें जगतगुरु शंकराचार्य (Jagatguru Shankracharya Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. जगतगुरु शंकराचार्य भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक गुरुओं और दार्शनिकों में से एक हैं. हर साल आदि शंकराचार्य जयंती उनके भक्तों द्वारा वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि या पूर्णिमा चंद्र पखवाड़े के पांचवें दिन मनाई जाती है. आदि शंकराचार्य जिन्हें भगवान शिव के अवतार के रूप में भी जाना जाता है. आज के दिन भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करने के साथ ही सत्संग का आयोजन करते हैं.