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जानिए कहां हुआ शिवलिंग का 300 किलो लड्डुओं से श्रृंगार

उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश के नीलकंठ महादेव मंदिर में एक श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होने पर उसने मंदिर के शिवलिंग पर 300 किलो बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया है.

लड्डुओं से शिवलिंग का श्रृंगार
लड्डुओं से शिवलिंग का श्रृंगार

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Published : Jun 12, 2021, 4:00 PM IST

देहरादून :नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश में एक श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होने पर उसने मंदिर के शिवलिंग पर 300 किलो बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया है. मंदिर प्रशासन ने लड्डुओं से शिवलिंग का विशेष श्रृंगार किया, जो देखने में बेहद ही आकर्षित नजर आ रहा है.

बता दें, पौड़ी जिले के यम्केश्वर ब्लॉक के मणि कूट पर्वत स्थित पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं. माना जाता है कि यहां भगवान शिव से मांगी गई मुराद पूरी होती है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु अलग-अलग तरह से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक करते हैं और भोग लगाते हैं. ऐसे ही एक श्रद्धालु की नीलकंठ पौराणिक महादेव मंदिर में भगवान शिव से मांगी गई मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु ने 300 किलो बेसन के लड्डुओं का भगवान शिव के शिवलिंग पर भोग लगाया. जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने विधिवत पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चारण के बाद 300 किलो लड्डुओं से भगवान शिव का श्रृंगार किया.

लड्डुओं से शिवलिंग का श्रृंगार

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नीलकंठ महादेव मंदिर के महंत शिवानंद गिरि ने बताया कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यही कारण है कि लोग भगवान शिव को मुराद पूरी होने के बाद भोग लगाते हैं. ऐसे एक श्रद्धालु ने 300 किलो लड्डू का भोग भगवान शिव को लगाया है, जिसका उनके द्वारा श्रृंगार किया गया और प्रसाद के रूप में अब उसको लोगों में वितरित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि नीलकंठ महादेव मंदिर प्राचीन है. यहां का शिवलिंग स्वयंभू है. नीलकंठ मंदिर में बहुत दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. खास बात यह है कि सावन के माह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं.

समुद्र मंथन से है नीलकंठ महादेव मंदिर का नाता

नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश में एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है. ये ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में एक है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था. उसी समय मां पार्वती ने उनका गला दबाया, जिससे विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे. इस तरह विष उनके गले में बना रहा.

विषपान के बाद विष के प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया था. गला नीला पड़ने के कारण उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है, जहां भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं.

ऋषिकेश के पास है मंदिर

नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से करीब 5,500 फीट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. मुनि की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमीटर और नाव द्वारा गंगा पार करने पर 25 किलोमीटर दूर है.

मंदिर में है भोलेनाथ की विष पीते हुए पेंटिंग

नीलकंठ महादेव की नक्काशी देखते ही बनती है. अत्यंत मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य उकेरे गए हैं. गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान भोलेनाथ को विष पीते दिखाया गया है. सामने की पहाड़ी पर मां पार्वती का मंदिर है.

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