वाराणसी :दीपावली भले ही मानव समाज की तरफ से मनाया जाने वाला पर्व हो, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली देव दीपावली खुद देवताओं के द्वारा काशी में मनाया जाने वाला महाउत्सव है, जिसका साक्षी हर कोई बनना चाहता है. आखिर क्यों मनाई जाती है यह देव दीपावली और क्या है इस देव दीपावली का धार्मिक महत्व जानिए आप भी...
भगवान कार्तिकेय और भोलेनाथ से जुड़ी है कथा
दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली देव दीपावली देवताओं के द्वारा मनाए जाने वाले दीपावली पर्व से जुड़ा हुआ है. इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं कि इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार काशी में भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय की तरफ से किए गए तारकासुर के वध के बाद दीपोत्सव की शुरुआत हुई, लेकिन देवताओं द्वारा दीपावली का पर्व धूमधाम के साथ काशी में तब मनाया गया. जब तारकासुर के तीन पुत्रों त्रिपुरासुर का अंत भगवान शिव ने खुद किया.
भगवान शिव ने दिलाई आतंक से मुक्ति
पंडित पवन त्रिपाठी की मानें तो शास्त्रों में पौराणिक कथा के अनुसार एक समय तीनों लोक तारकासुर के तीन पुत्रों के आतंक से परेशान था. इन तीन पुत्रों में तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. इन तीन दिनों के आतंक से पृथ्वी लोक देव लोक और पाताल लोक तीनों परेशान हो चुके थे. भगवान ब्रह्मा से मिले आशीर्वाद के फलस्वरूप इन तीनों का वध एक साथ एक बाण से एक ही वक्त में एक सिधाई में आने पर किया जा सकता था. जिसकी वजह से इनका वध हो पाना मुश्किल था, लेकिन भगवान शिव ने धनुष से बाण के जरिए इन तीनों का वध कर देव मानव सभी को इनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी.