कोलकाता : इस साल कोलकाता में मौसम अनुकूल रहा. कीटों से संबंधित कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के आम के किसानों के लिए यह समय अनुकूल नहीं है. यह किसान जिले की अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख योगदानकर्ता माने जाते हैं.
इस समय आम के पेड़ फलों से भरे हुए हैं, लेकिन कोविड-19 संकट और लॉकडाउन के कारण किसानों को पर्याप्त खरीदार नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में पिछले साल की तरह इस साल भी जिले के आम किसान काफी परेशान हैं. वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, आम तौर पर मालदा जिले में 32,000 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती की जाती है.
हालांकि जिले के बागबानी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल खेती का दायरा पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा कम रहा है. इस साल करीब 31 हजार हेक्टेयर जमीन पर ही आम की खेती की गई है.
विभाग के उप निदेशक कृष्णेंदु नंदन के अनुसार इस वर्ष उपज की तादाद और गुणवत्ता काफी संतोषजनक रही.
उन्होंने कहा कि नॉरवेस्टर्स के बावजूद इस साल लगभग 3,00,000 मीट्रिक टन आम का उत्पादन होने की उम्मीद है. हालांकि, कोविड19 संकट के कारण, पर्याप्त खरीदार प्राप्त करने में कठिनाइयां सामने आ सकती हैं.
उन्होंने बताया कि यहां दूसरे जिलों और अन्य राज्यों से भी खरीदार नहीं आ रहे हैं. हमने उनसे फोन पर संपर्क किया, लेकिन वे अनिच्छुक हैं. ऐसा लगता है कि इस साल हमारी उपज को बेचना मुश्किल होगा, इसलिए मेरा अनुरोध है कि राज्य जिला प्रशासन हमारे उत्पादों के बेचने की कुछ व्यवस्था करे.
कृष्णेंदु नंदन के साथी किसान सुशांत चौधरी की भी यही राय है. उन्होंने बताया कि पिछले साल तक हमारे पास असम, बिहार और झारखंड सहित अन्य राज्यों के खरीदार थे. इसके अलावा अन्य जिलों के थोक विक्रेताओं ने भी हमसे संपर्क किया था.
वहीं, इस साल उन्होंने अभी तक हमसे संपर्क नहीं किया है. इस साल पैदावार काफी अच्छी रही है, लेकिन खरीदारों की अनुपस्थिति में हमें नहीं पता कि उस उपज का क्या किया जाए. हमने खेती के लिए पैसे उधार लिए थे.