नई दिल्ली: हाल ही में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के खिलाफ तीन मौकों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाए जाने के बावजूद भारत-अमेरिका अपनी सैन्य प्रणालियों को एकीकृत करने पर पूरी तरह से आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही अंतरिक्ष और साइबरस्पेस पर भी ध्यान दे रहे हैं. रूस की शक्तिशाली S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की संभावना व वैश्विक निंदा के बीच अमेरिका की यह स्थिति महत्वपूर्ण है.
बुधवार को यूएस हाउस सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष पेश हुए भारत-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव एली रैटनर ने कहा कि हम भारत के साथ अपनी प्रमुख रक्षा साझेदारी के साथ ऐतिहासिक प्रगति देख रहे हैं. क्योंकि हम एकीकृत संचालन प्रगति जारी रख रहे हैं. हम रक्षा सहयोग और रसद, सूचना साझाकरण को बढ़ाने और अंतरिक्ष व साइबरस्पेस में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं.
रैटनर ने कहा कि अमेरिकी दृष्टिकोण से भारत एक अत्यंत आवश्यक भागीदार है, जब हम हिंद-प्रशांत में अपनी रणनीति के बारे में सोचते हैं. हम मानते हैं कि भारत का रूस के साथ एक जटिल इतिहास और संबंध है. उनके अधिकांश हथियार वे रूसियों से खरीदते हैं. वे अपने स्वयं के रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण सहित ऐसे कई कदम उठाने को लेकर स्पष्ट रूप से प्रतिबद्ध हैं और यह ऐसी चीज है जिसका हमें समर्थन करना चाहिए.