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19 साल की उम्र में पति को खोने के बावजूद नहीं हारी हिम्मत, कर रही हैं बाइक से भारत यात्रा - एकल यात्रा

आकाशवाणी रेनबो 107.5 में बतौर आरजे काम करने वाली अंबिका कृष्ण जिंदगी जीने के नए अवसर ढूंढ़ रही है. अंबिका वायु सेना अधिकारी शिवराज एच की विधवा हैं, 19 साल की उम्र में उन्होंने अपने पति को खो दिया था. अंबिका ने 11 अप्रैल को अपने खर्च से अकेले बाइक की सवारी शुरू की थी.

19 साल की उम्र में पति को खोने के बावजूद नहीं हारी हिम्मत
19 साल की उम्र में पति को खोने के बावजूद नहीं हारी हिम्मत

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Published : May 31, 2022, 12:42 PM IST

Updated : May 31, 2022, 1:30 PM IST

अमरावती:आकाशवाणी रेनबो 107.5 में बतौर आरजे काम करने वाली अंबिका कृष्ण जिंदगी जीने के नए अवसर ढूंढ़ रही है. अंबिका वायु सेना अधिकारी शिवराज एच की विधवा हैं, 19 साल की उम्र में उन्होंने अपने पति को खो दिया था. अंबिका ने 11 अप्रैल को अपने खर्च से अकेले बाइक की सवारी शुरू की थी. उन्होंने कहा कि उसके दोस्त वास्तव में सहायक रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें हर स्टेशन पर आकाशवाणी के कर्मचारियों का भरपूर सहयोग मिल रहा है. वह सुबह जल्दी अपनी सवारी शुरू करती है, चिलचिलाती धूप के कारण दोपहर के दौरान रुकती है, और फिर शाम को सवारी फिर से शुरू करती है. वह रोजाना 350 से 500 किलोमीटर का सफर तय करती हैं. अंबिका ने कहा कि तमिलनाडु में सवारी करते समय उनका एक्सीडेंट हो गया. उन्होंने कुछ दिनों के लिए आराम किया. हालांकि, उन्होंने चोट के दर्द के बावजूद जल्द ही उन्होंने फिर से सवारी शुरू कर दी. वह कहती हैं कि रास्ते में आने वाली छोटी-छोटी मुश्किलें उन्हें परेशान नहीं करतीं क्योंकि उन्होंने देश की सेवा करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में सवारी शुरू की है.

अंबिका कृष्ण की सोलो यात्रा

लोगों के लिए बना चाहती हैं प्रेरणा :उनकी यह ट्रिप सैनिकों और उनकी विधवाओं को श्रद्धांजलि होगी. अंबिका ने 19 साल की उम्र में अपने पति को खो दिया था जिस समय वो ग्रेजुएशन में थीं. उस समय अंबिका एक तीन महीने की बेटी की मां भी थी. उनकी यही लड़ाई की भावना उनके लिए सभी बाधाओं से लड़ने का कारण बनी और आज उनकी ये कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा है. देश भर के सभी 25 रेनबो स्टेशनों को जोड़ने वाली इस सोलो ट्रिप के माध्यम से अंबिका अपने जैसे उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं जो उनकी तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

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दोस्तों ने की मदद :अंबिका ने कहा कि जब 1997 में मेरे पति का निधन हुआ, तब मैं बीकॉम की छात्रा थी. मेरे पास क्लियर करने के लिए कई पेपर पेंडिंग थे. मैंने अच्छे प्लेसमेंट की चाहत के साथ अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान मेरे कुई दोस्तों ने मेरी मदद की. कुछ ने मेरी बेटी आर्या की देखभाल की, जब मैं कॉलेज जाया करती थी और कुछ अन्य लोगों ने मुझे कई नई बातें सिखाईं.”शाम को उन्होंने कंप्यूटर कौशल सीखा और एक एकाउंटेंट के रूप में नौकरी प्राप्त की. बीच में उन्होंने कॉस्ट अकाउंटिंग सीखने के लिए एक ब्रेक लिया और 2008 में इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICWAI) के कोचीन चैप्टर में पंजीकृत हुई. उसी साल आकाशवाणी में उन्होंने पार्ट टाइम कैजुअल कर्मचारी के तौर पर ज्वाइन किया.

आरजे की नौकरी ने बदली जिंदगी :अंबिका ने बताया कि अकाउंट प्रोफेशनल के तौर पर काम करते हुए उन्होंने आरजे के तौर पर ज्वाइन किया, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. इसने मुझे एक जिम्मेदार इंसान बनाया. इस सोलो ट्रिप को कक्कनड के जिला कलेक्टर जफर मलिक द्वारा झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा. उम्मीद है कि अंबिका को इस सफर को 50 दिनों से भी कम समय में पूरा कर लेंगी. यात्रा के बारे में सभी स्टेशनों को अलर्ट कर दिया गया है और आपात स्थिति में उनकी मदद करने का निर्देश दिया गया है. उनकी बेटी इंफोसिस में एक डिजाइनर के तौर पर काम करती है.

Last Updated : May 31, 2022, 1:30 PM IST

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