नई दिल्ली : ऑक्सफोर्ड की इकोनॉमिक्स (Oxford Economics) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मजबूत मुद्रास्फीति और डेल्टा प्रेरित वैश्विक आपूर्ति व्यवधानों (global supply disruptions) के बावजूद, भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं (emerging economies) में वित्तीय स्थिति में सुधार हो रहा है क्योंकि सिस्टम में काफी लिक्विडटी है, ब्याज दरें रिकॉर्ड कम हैं और संपत्ति की कीमतें अधिक हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बडी़ मात्रा में तरलता उभरते बाजारों के लिए वित्तीय स्थिति को अनुकूल बनाए रखना चाहिए, भले ही उभरते बाजार बढ़ती मुद्रास्फीति के दबाव में आते हैं और कमजोर मुद्राएं इन देशों में कुछ केंद्रीय बैंकों (central banks) को नीति को सख्त करने के लिए मजबूर करती हैं.
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री तमारा बेसिक वासिलजेव (amara Basic Vasiljev) के विश्लेषण के अनुसार, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शेयर बाजार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और चीन को छोड़कर रियल एस्टेट की कीमतें (न) अधिक हैं, जहां एवरग्रांडे संकट (Evergrande crisis) के कारण देश के रियल एस्टेट बाजार में दरारें दिखाई देने लगी थीं.
आज (21 अक्टूबर 2021) सुबह जब कंपनी के शेयरों में 17 दिन के ब्रेक के बाद कारोबार शुरू हुआ तो एवरग्रांडे के शेयरों में हांगकांग के शेयर बाजार में 14% की गिरावट दर्ज की गई.
हालांकि चीन का एवरग्रांडे संकट अभी भी एक खतरा बना हुआ है, एक बहुत बड़ी समस्या कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में उच्च मुद्रास्फीति है जो उनके केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति को सख्त करने के लिए मजबूर कर सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक उभरते बाजार केंद्रीय बैंक हॉक्स कैंप (hawk's camp) में शामिल हो रहे हैं.
भारत में रिजर्व बैंक (Reserve Bank ) ने इस महीने की शुरुआत में घोषित नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाए रखी, यह लगातार आठवां मौका था, जब आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया क्योंकि यह उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रहा है, लेकिन कम दर बनाए रखने के लिए उदार रुख और नाजुक सुधार का समर्थन करने की जरूरत है.
महंगाई चिंता का विषय
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति अधिकांश केंद्रीय बैंकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. उदाहरण के लिए ब्राजील में सितंबर की मुद्रास्फीति दो अंकों में थी और पोलैंड और हंगरी जैसे अन्य देशों में चिंताजनक सीमा में थी.