श्रीनगर :जम्मू-कश्मीर से जुड़े एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि संघर्षविराम समझौता पाकिस्तान के लिए अधिक महत्वपूर्ण था क्योंकि वह वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की 'ग्रे सूची' से बाहर आने की कोशिश कर रहा है.
अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इस्लामाबाद की ईमानदारी का तब आकलन किया जा सकता था यदि उन्होंने आतंकी ढांचे को नष्ट कर दिया होता.अधिकारी ने साथ ही कहा कि सेना नियंत्रण रेखा के पार आतंकी शिविरों में लगभग 140 आतंकवादियों की मौजूदगी को देख रही है, जो संभवतः जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन मजबूत घुसपैठ रोधी ढांचे ने उन्हें अब तक सफल नहीं होने दिया है.
अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने अतीत में इसकी कोशिश की लेकिन सतर्क जवानों ने उनके सभी नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया जिसके बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा.'
अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान संघर्षविराम का उपयोग नियंत्रण रेखा के साथ लगे अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कर रहा है, जो पिछले साल नियंत्रण रेखा के भारतीय क्षेत्र में नागरिक क्षेत्रों में उनके सैनिकों की गोलीबारी के जवाब में सीमा पार से की गई गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गया था.
दो साल पहले केंद्र द्वारा विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, अधिकारी ने कहा कि विदेशी आतंकवादी अचानक यहां से गायब हो गए हैं और खुद को या तो घनी आबादी वाले क्षेत्रों में या प्राकृतिक गुफाओं वाले पहाड़ी क्षेत्रों में कुछ ठिकाने में बंद कर लिया है.
स्थानीय लोगों के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने पर, अधिकारी ने कहा कि सभी को एक निरंतर संदेश दिया गया है कि 'हमारे देश के खिलाफ' कोई भी बुरी मंशा रखने वालों को ऐसी महत्वाकांक्षाओं से दूर रहना चाहिए तथा जो राष्ट्र के विरुद्ध हथियार उठाते हैं या राष्ट्र की संप्रभुता के खिलाफ बुरे इरादे रखते हैं उसने सख्ती से निपटा जाएगा.