तिरुवनंतपुरम : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास के लिए अनावश्यक नियंत्रण हटाए जाने की जरूरत है. उन्होंने अंतरिक्ष उद्योग में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति का श्रेय इस क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने को भी दिया. भारत के प्रथम रॉकेट के प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान सोमनाथ ने अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित किया, जिसने भारत की उपग्रह निर्माण क्षमताओं को काफी बढ़ाया है.
इसरो प्रमुख ने कहा, 'पहले उपग्रहों, प्रक्षेपण यान और संबद्ध प्रौद्योगिकियों का विकास व उत्पादन केवल इसरो करता था. इसरो में केवल 17,000 लोग हैं और 13,000 करोड़ रुपये का बजट है.' उन्होंने कहा कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में अब 130 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से कुछ कंपनियों में 400 से 500 कर्मचारी हैं और उनका कारोबार 500 से 1,000 करोड़ रुपये है. सोमनाथ ने कहा, 'उनमें से कुछ इसरो की तुलना में बेहतर वेतन दे रहे हैं, और इसरो से सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों की वहां काफी मांग है. ये कंपनियां इसरो से सेवानिवृत्त होने वाले लोगों का इंतजार कर रही हैं.'
इसरो प्रमुख ने कहा कि उपग्रह विनिर्माण के लिए भारत के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है और यह इसके कारोबार में अपनी मौजूदगी बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा, 'प्रौद्योगिकी विकास और अंतरिक्ष विज्ञान में प्रगति ठीक है, लेकिन कारोबार महत्वपूर्ण है.' वर्तमान में, पांच भारतीय कंपनियां उपग्रह विनिर्माण करने में सक्षम हैं, और उनमें से तीन ने अपने उपग्रहों का विनिर्माण और विदेशों से सफल प्रक्षेपण किया है.