दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Trikut Ropeway Accident: त्रिकूट पर्वत पर रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म, निकाले गए सारे पर्यटक

देवघर के त्रिकूट पर्वत पर रोपवे में फंसे पर्यटकों को निकालने काम पूरा हो चुका है. रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त हो चुका है. बचे हुए सभी पर्यटकों को निकाल लिया गया है. हालांकि, इस दौरान दो पर्यटकों की मौत हो गई. इससे पहले सोमवार को शाम ढलते ही ऑपरेशन बंद कर दिया गया था. रेस्क्यू के दौरान एक और हादसा हुआ है. खबर के मुताबिक एक महिला को लिफ्ट करते वक्त हेलीकॉप्टर का रस्सी रोपवे में फंस गया. जिससे महिला गिर गई और उसकी मौत हो गई.

x
x

By

Published : Apr 12, 2022, 7:26 AM IST

Updated : Apr 12, 2022, 1:56 PM IST

देवघर : त्रिकूट रोपवे पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है. तीन दिनों से चल रहा रेस्क्यू ऑफरेशन खत्म हो गया है. अब रोपवे पर कोई नहीं फंसा हुआ है. आज 14 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि बचाव अभियान के दौरान गिरने से एक महिला की मौत हो गई. सोमवार को 32 लोगों को सुरक्षित निकाला गया था और आज भी 14 लोगों को निकाला गया. पूरे ऑपरेशन के दौरान 46 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जिसमें गरूड़ कमांडो का एक जवान भी शामिल है. जबकि इस दौरान दो लोगों की मौत भी हो गई. एयर फोर्स, एनडीआरएफ संयुक्त रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी. स्थानीय ग्रामीणों ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन में भरपूर मदद की.

महिला की हुई मौत:रेस्क्यू जब फाइनल स्टेज पर था उसी वक्त एक दुखद घटना घटी. देवघर की रहने वाली एक साठ साल की महिला को एयरलिफ्ट किया जा रहा था. उसी वक्त रोपवे में रस्सी फंस गया, जिसकी बजह से चौपर खतरे में आ गया. पायलट ने जर्क देकर फंसे हुए रस्सी को सीधा करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और इसी दौरान रस्सी टूट गई और महिला खाई में जा गिरी. आपको बता दें कि उस महिला की बेटी और दामाद दो दिन से यहीं पर जमे हुए थे. हादसे के बाद अर्चना नाम कि महिला की बेटी रोते हुए यहां की व्यवस्था को कोसती रही.

रेस्क्यू के दौरान महिला की मौत (वीडियो)

सोमवार को भी गिरने से हुई थी एक व्यक्ति की मौत:सोमवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. ट्रॉली से जब व्यक्ति को निकालकर सेना के हेलीकॉफ्टर पर लाया जा रहा था उस वक्त उसका सेफ्टी बेल्ट खुल गया और वह नीचे गिर गया. जिसके बाद उसकी मौत हो गई. झारखंड सरकार के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन, गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी, देवघर विधायक नारायण दास, देवघर के डीसी और एसपी समेत आपदा प्रबंधन विभाग के कई अधिकारी अभी भी मौके पर कैंप कर रहे हैं. घटनास्थल पर सेना, आईटीबीपी के जवान और एनडीआरएफ टीम भी मौजूद है.

देवघर रोपवे हादसा

ये भी पढ़ेंःदेवघर के त्रिकूट पर्वत पर रेस्क्यू ऑपरेशन बंद, फंसे 14 लोगों को मोटिवेट करने एक ट्रॉली में रुका गरुड़ कमांडो

किस हाल में हैं ट्रालियों में फंसे पर्यटक

अभी भी चार ट्रालियों में कुल 14 पर्यटक फंसे हुए हैं. सभी 10 अप्रैल की शाम से ही फंसे हुए हैं. अब सवाल है कि उन लोगों को पानी या किसी तरह के नाश्ता की व्यवस्था हो पाई है या नहीं. देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि रेस्क्यू के दौरान ही एयर फोर्स की टीम ट्रॉलियों में फंसे पर्यटकों को पानी और नाश्ता मुहैया कराती रही है. उन्होंने कहा कि हालांकि 11 अप्रैल की शाम तक सभी पर्यटकों को निकालने का टारगेट रखा गया था, जो संभव नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि पहाड़ की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में बहुत परेशानी हो रही है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि 12 अप्रैल की सुबह ऑपरेशन शुरू होने के कुछ घंटे के भीतर ही शेष सभी पर्यटकों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया जाएगा.

देवघर रोपवे हादसा, सुबह से 5 लोगों को किया गया रेस्क्यू

देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि दिनभर चले ऑपरेशन के दौरान 32 लोगों को अलग-अलग ट्रॉली से सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया. लेकिन शाम के वक्त एक हादसा होने की वजह से एक शख्स की जान चली गई. उन्होंने बताया कि अभी चार ट्रॉलियों में करीब 15 लोग फंसे हुए हैं. देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि प्रशासन की पहली कोशिश है कि जो पर्यटक अभी भी फंसे हुए हैं उनको सुरक्षित बाहर कैसे निकाला जाए. उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल को जब हादसा हुआ, उस वक्त से ही पूरा प्रशासन रेस्क्यू में जुटा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- Trikut Pahar Ropeway Accident: अंधेरा होने से रेस्क्यू ऑपरेशन रूका, मंगलवार सुबह फिर शुरू होगा राहत और बचाव कार्य

इसके अलावा एक ट्रॉली में एयरफोर्स का एक गरुड़ कमांडो भी फंस गया है. दरअसल, वह रेस्क्यू कराने के लिए एक ट्रॉली में पहुंचे थे, इसी दौरान अंधेरा होने की वजह से दोनों चॉपर मूव कर गये. हालांकि इसे अच्छा माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि ट्रॉली में फंसा गरुड़ कमांडो दूसरी ट्रॉलियों में फंसे पर्यटकों को रात भर मोटिवेट करता रहेगा. जिलाधिकारी ने बताया कि 10 अप्रैल की शाम हादसा होने के बाद फौरन एनडीआरएफ की टीम के साथ साथ सेना की मदद की मांग की गई थी. इस पर केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सुबह होते ही एयर फोर्स की टीम के साथ-साथ सेना और आईटीबीपी की टीम को तैनात कर दिया था. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में पश्चिम बंगाल के खड़कपुर एयरवेज के साथ-साथ रांची से एयर फोर्स की टीम लगी हुई है. ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह की त्रिकूट पर्वत से ग्राउंड रिपोर्ट से जानिए पूरी कहानी.

रिपोर्टिंग (वीडियो)

एक मां को भी अपने बेटे का इंतजारः देवघर के विलासी मोहल्ले की रहने वाली ज्योतिर्मय अपने पुत्र नमन नीरज के इंतजार में रविवार रात से बैठी हुई हैं. उनका पुत्र रविवार को अपने एक मित्र के साथ त्रिकूट रोपवे घूमने आया था और हादसे के बाद से वहीं फंसा है. इनके साथ फंसे करीब 15 लोगों को मंगलवार सुबह का इंतजार करना ही होगा. देवघर में त्रिकूट रोपवे हादसा के बाद शासन प्रशासन का महकमा देवघर कैंप कर रहा है. एडीजी आरके मल्लिक और आपदा प्रबंधन के सचिव अमिताभ कौशल ने भी रेस्क्यू किए लोगों से उनका हालचाल लिया. इसके अलावा डीआईजी संथाल परगना रेंज लगातार इलाके में कैंप कर रहे हैं.

देवघर रेस्क्यू ऑपरेशन (वीडियो)

इसे भी पढ़ें- त्रिकूट रोपवे हादसाः दहशत की कहानी, सुशीला की जुबानी

हादसा कब और कैसे हुआः 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकुट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रुक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रोलिया या तो आपस में या चट्टान से टकरा गई. जिसकी वजह से एक महिला पर्यटक की मौत हो गई.

देवघर रेस्क्यू ऑपरेशन (वीडियो)

कब स्थापित हुआ था रोपवे सिस्टमः त्रिकूट पर्वत पर रोपवे सिस्टम की स्थापना साल 2009 में हुई थी. यह झारखंड का इकलौता और सबसे अनोखा रोपवे सिस्टम है. जमीन से पहाड़ी पर जाने के लिए 760 मीटर का सफर रोपवे के जरिए महज 5 से 10 मिनट में पूरा किया जाता है. कुल 24 ट्रालिया हैं. एक ट्रॉली में ज्यादा से ज्यादा 4 लोग बैठ सकते हैं. एक सीट के लिए 150रु देने पड़ते हैं और एक केबिन बुक करने पर 500 रु लगता है. इसकी देखरेख दामोदर रोपवेज एंड इंफ्रा लिमिटेड, कोलकाता की कंपनी करती है. यही कंपनी फिलहाल वैष्णो देवी,हीराकुंड और चित्रकूट में रोपवे का संचालन कर रही है. कंपनी के जनरल मैनेजर कमर्शियल महेश मोहता ने बताया कि कंपनी भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच कर रही है.

क्या है त्रिकूट पर्वतः झारखंड के देवघर जिला को दो वजहों से जाना जाता है. एक है रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग और दूसरा त्रिकूट पर्वत पर बना रोपवे सिस्टम. इस पर्वत से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि रामायण काल में रावण भी इस जगह पर रुका करते थे. इसी पर्वत पर बैठकर रावण रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग को आरती दिखाया करते थे. इस पर्वत पर शंकर भगवान का मंदिर भी है. जहां नियमित रूप से पूजा भी की जाती है. इस रोपवे सिस्टम की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी चल रही है.

Last Updated : Apr 12, 2022, 1:56 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details