देवघर : त्रिकुट रोपवे हादसा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. 48 पर्यटकों में 22 को सकुशल नीचे उतार लिया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे वायुसेना के हेलीकॉप्टर, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने पूरे दिन लोगों को सुरक्षित बचाने की का हरसंभव प्रयास किया. स्थानीय लोग भी रेस्क्यू में सहयोग करते दिखे. सोमवार शाम अंधेरा होने और रौशनी कम होने के कारण राहत और बचाव कार्य में अड़चन आई और रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा. जानकारी के मुताबिक 20 से अधिक लोग अभी भी फंसे हुए हैं. मंगलवार को सुबह से फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाएगा.
इससे पहले जिला प्रशासन ने एक महिला के मौत की पुष्टि की है. हालात का जायजा लेने एडीजी आरके मल्लिक और आपदा प्रबंधन के सचिव अमिताभ कौशल मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने उन लोगों से हालचाल जाना, जिन्हें रोपवे से रेस्क्यू कर नीचे उतारा जा चुका है. सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले को लेकर बताया कि देवघर रोपवे हादसे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पूरी नजर बनी हुई. वो इस मामले में लगातार अपडेट्स ले रहे हैं.
बता दें कि त्रिकुट पहाड़ के रोपवे में फंसे पर्यटकों को सकुशल नीचे उतारने के लिए एयर फोर्स का हेलीकॉप्टर ट्रॉली के नज़दीक पहुंच कर वापस लौट गया था. इसकी वजह यह है कि हवा में लटके जो 12 ट्रॉली थे उससे लोगों को निकालने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था. इसके साथ ही ट्रॉली के काफी नजदीक बड़े-बड़े चट्टान हैं. इससे हेलीकॉप्टर को भी उनसे टकराने का खतरा था. 2500 फीट से ज्यादा ऊंचाई होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानी आ रही है. मौके पर एनडीआरएफ की टीम के साथ सेना के जवान और स्थानीय पुलिस बल मौजूद हैं.
रेस्क्यू के बाद महिला ने बताई आपबीती
त्रिकूट रोपवे में रात भर ट्रॉली में दुमका की सुशीला देवी फंसी रही. वो रविवार को यहां घूमने आई थी और अपने परिवार के छह अन्य सदस्यों के साथ रोपवे का आनंद ले रही थीं, उसी वक्त ये हादसा हुआ. सुशीला देवी रात भर उस ट्रॉली में फंसी रहीं. हालांकि सुशीला देवी और उनके परिवार के सभी 6 सदस्यों को सुरक्षित उतार लिया गया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि रात भर सांसें अटकी रही थीं, समझ में नहीं आ रहा था कि नीचे कैसे जाएंगे या फिर उनकी मृत्यु इसी में हो जाएगी.