नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि वह एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे 'लोकतंत्र की जननी' के रूप में जाना जाता है और भारत के लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित करने के लिए एक रेलवे स्टेशन पर चाय विक्रेता से प्रधानमंत्री बनने तक के अपने सफर का हवाला दिया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने यहां कहा, 'हमारे यहां लोकतंत्र की एक महान परंपरा रही है, जो हजारों साल पुरानी है.'
उन्होंने कहा, 'मैं एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करता हूं, जिसे लोकतंत्र की जननी के तौर पर जाना जाता है। इस साल 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है.'
उन्होंने कहा, 'हमारी विविधता हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है.' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां दर्जनों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, विभिन्न जीवन शैलियां और व्यंजन हैं। यह एक जीवंत लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है.
मोदी ने दीन दयाल उपाध्याय के 'एकात्म मानववाद' के विचार की बात की. उन्होंने कहा कि आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती है जो 'एकात्म मानव दर्शन' के समर्थक हैं, जिसका अर्थ है अभिन्न मानवतावाद या एक साथ विकास यात्रा, स्वयं से ब्रह्मांड तक विस्तार.'
संयुक्त राष्ट्र महासभा में लगभग 109 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के व्यक्तिगत रूप से बोलने की उम्मीद है, जबकि लगभग 60 अन्य पूर्व-रिकॉर्ड किए गए वीडियो भाषणों के माध्यम से संबोधित करेंगे.
यूएनजीए हॉल में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस संधू मौजूद थे.
अपने भाषण में प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारक चाणक्य और नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर का जिक्र भी पीएम मोदी ने किया. मोदी ने कोविड 19 से उबरने, लोगों के अधिकारों का सम्मान करना, संयुक्त राष्ट्र को पुनर्जीवित करने पर बात की जिन्हें इस साल के UNGA सत्र के विषय में रेखांकित किया गया था.
सामाजिक, वैज्ञानिक और सार्वजनिक सेवा क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए मोदी ने अवसर की नई भूमि पर सभी का स्वागत किया. उन्होंने कहा जब भारत बढ़ता है, तो दुनिया बढ़ती है. जब भारत सुधार करता है, तो दुनिया बदल जाती है.
पीएम ने COVID 19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत की सफलताओं पर प्रकाश डाला और विशेष रूप से वैश्विक वैक्सीन उत्पादन कंपनियों को प्रोत्साहित किया कि 'आओ, भारत में टीके बनाओ.'