जोधपुर के पूर्व महाराजा के नाम पर एयरपोर्ट का नाम हो जोधपुर.देश के सबसे पुराने इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अब तक सिर्फ घरेलू उड़ाने ही संचालित हो रही थीं. राजस्थान के जोधपुर के इस हवाई अड्डे का अब विस्तार हो रहा है, नए एप्रिन बन रहे हैं. एयरपोर्ट की मुख्य इमारत भी तैयार हो रही है. इस बीच एयरपोर्ट का नाम इसके संस्थापक जोधपुर के पूर्व महाराजा और भारतीय वायु सेना के पहले भारतीय एयर वाइस मार्शल उमेद सिंह के नाम पर रखने की मांग हो रही है.
हाल ही में राज्य विधानसभा में विधायक खुशवीर सिंह जोजावर ने भी एयरपोर्ट के जन्मदाता के नाम से नामकरण करने की मांग उठाई है. जोजावर ने विधानसभा में कहा कि जोधपुर के पूर्व महाराजा उमेद सिंह ने अपने परिश्रम से जोधपुर में एयरपोर्ट बनाकर यहां से अंतराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करवाई थी. उन्होंने अपनी रियासत में उड्डयन विभाग भी बनाया था, इसलिए एयरपोर्ट को उनका नाम मिलना चाहिए.
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जोधपुर रियासत के पास थे विमान : मारवाड़ जागरण मंच के अध्यक्ष डॉ. गजेंद्र सिंह राठौड़ बताते हैं कि 1931 में जोधपुर फ्लाइंग क्लब की स्थापना की गई थी. उस समय जोधपुर रियासत के पास खुद के विमान थे. इसी समय आसपास कई हवाई पट्टियों का निर्माण करवाया गया था. वायुसेना के लिए आधार बनाने वाले महाराजा उमेद सिंह के नाम से एयरपोर्ट जाना जाए, यह हर वर्ग की मांग है.
1924 में बनाई पहली हवाई पट्टी :महाराजा उमेद सिंह काफी विजनरी थे. उन्हें हवाई जहाज का शौक भी था. उन्होंने 1924 में ही अपने क्षेत्र में हवाई पट्टियां बनवानी शुरू दी थी. रियासत में 24 हवाई पट्टियां बनाई तो अंग्रेजो को उन्हें रोकना पड़ा. उन्होंने जोधपुर में हवाई अड्डा विकसित किया, दूसरा उत्तरलाई बनाया. आज यह दोनों ही भारतीय वायु सेना के सबसे मजबूत एअरबेस हैं.
ऊंट पर बैठने वालों के लिए हवाई जहाज :मारवाड़ में उस समय परिवहन का बड़ा साधन ऊंट गाड़ी थी. महाराज ने जोधपुर के लोगों के लिए 10 रुपए में हवाई जहाज से नगर भ्रमण की व्यवस्था की. लोगों के पास आज भी फ्लाइंग क्लब के टिकट रखे हैं. तब तक ब्रिटिश सरकार ने भारत में रॉयल एअरफोर्स का भी गठन नहीं किया था. उस समय जोधपुर से बीकानेर, गंगानगर, दिल्ली के लिए हवाई सेवा उपलब्ध थी.
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1936 में इंटरनेशनल एयरपोर्ट :जोधपुर का एयरपोर्ट दुनिया में जोधपुर फ्लाइंग क्लब के नाम से जाने जाना लगा था. भारत के गिनती के एयरपोर्ट में से एक जोधपुर था. यहां 1936 में इंटरनेशनल फ्लाइट्स उड़ने लगी थीं. जोधपुर से लंदन, पेरिस, कराची, रंगून, सिंगापुर, जर्काता और जापान तक के लिए हवाई सेवा उपलब्ध थी. यहां से रोजाना तीन इंटरनेशनल उड़ानें संचालित होती थीं. इनमें एयर फ्रांस, डीकेएलएम एयरलाइंस और इंडियन ट्रांसकॉन्टिनेंटल एयरवेज शामिल थीं. मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट में दर्ज जानकारी के अनुसार 1936 में जोधपुर एयरपोर्ट पर 761 प्लेन की लैडिंग हुई थी.
आज सिर्फ घरेलू उड़ानें :आजादी के साथ ही यह हवाई अड्डा भारतीय वायुसेना के पास चला गया. इसके बाद यहां से उड़ानें सीमित हो गईं. सिविल एयरपोर्ट का दर्जा खत्म हो गया. बीते एक दशक से इस एयरपोर्ट को सिविल एयरपोर्ट की तरह संचालित करने के प्रयास चल रहे हैं. केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट विस्तार को मंजूरी दी है, जिसके बाद से काम जारी है. उड़ानों की भी संख्या बढ़ी हैं. वर्तमान में जोधपुर से दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, इंदौर, बैंगलोर, हैदराबाद और पूणे सहित अन्य शहरों के लिए सेवाएं उपलब्ध हैं. इससे यात्रियों की भीड़ भी रहती है, लेकिन पर्यटन सीजन खत्म होने के साथ इनकी संख्या कम होने लगती है.