नागपुर : महाराष्ट्र के गढचिरौली के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) संदीप पाटिल ने रविवार को कहा कि शीर्ष नक्सल सरगना मिलिंद तेलतुंबडे का मारा जाना महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) क्षेत्र में गैर कानूनी माओवादी आंदोलन के लिए 'बड़ा झटका' है.
वहीं, माओवादियों ने गढ़चिरौली मुठभेड़ मामले में न्यायिक जांच की मांग की है. उन्होंने भद्राद्री कोठागुडेम और पूर्वी गोदावरी जिला माओवादी संभाग समिति के नाम से एक पत्र जारी किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी थी.
माओवादियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें जंगलों में प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की साजिश करती हैं. इसलिए सरकारों ने उन्हें एनकाउंटर के नाम पर मार डाला. माओवादियों ने चेतावनी दी कि उन्हें इन मुठभेड़ों के लिए भुगतान करना होगा.
पुलिस उपमहानिरीक्षक संदीप पाटिल ने कहा कि तेलतुंबडे वह प्रमुख व्यक्ति था जिसने पिछले 20 वर्षों में नक्सलवाद को गति दी और इसे महाराष्ट्र में खड़ा किया.
अधिकारी ने दावा किया, वह इस आंदोलन का एकमात्र भविष्य था और महाराष्ट्र में कोई दूसरा नेता नहीं था.
पाटिल ने कहा, नक्सल आंदोलन में उसके योगदान और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के कुछ हिस्सों और शहरी क्षेत्रों में उसके प्रभाव को देखते हुए, वे एक बहुत ही महत्वपूर्ण कैडर था और हम बहुत लंबे समय से उसकी तलाश कर रहे थे.
पुलिस ने बताया है कि शनिवार सुबह गढचिरौली के कोर्ची के मर्दिनटोला वन क्षेत्र में पुलिस के सी-60 कमांडो दल के तलाशी अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ में तेलतुंबडे समेत 26 नक्सली मारे गए थे.
तेलतुंबडे माओवादियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और एल्गार परिषद-माओवादी मामले में आरोपी था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि उसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था. वह कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे का भाई है. आनंद को भी एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है.