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दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं और कोरोना से जूझती दिल्ली की कहानी

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Published : Apr 18, 2021, 10:08 AM IST

देश की राजधानी में कोरोना की नई लहर कहर बरपा रही है. स्थितियां दिनों-दिन विकट होती जा रही हैं. देश की राजधानी में ही स्वास्थ्य सेवाएं, बढ़ते संक्रमण के आगे बौनी दिखें तो दूर-दराज के गांवों में जहां पहले से स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा तैयार नहीं है, वहां के हालात समझे जा सकते हैं.

दिल्ली की कहानी
दिल्ली की कहानी

नई दिल्ली :कोरोना से अब तक जंग जीतने का अहसास जागने लगा था कि नई लहर ने सारी उम्मीदों पर मानों पानी फेर दिया, अब ये संक्रामक लहर कब और कैसे थमेगी...इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं. वायरस को रोकने के लिए मास्क और सोशल डिस्टेसिंग इकलौता विकल्प है, लेकिन इसे लेकर देश में अपनाए जा रहे दोहरे मापदंडों ने इस सावधानी के प्रति लोगों को लापरवाह बना दिया. राजनीतिक आयोजनों में सारे नियम हाशिए पर रख दिए और आम जनता अकेले कार में भी मास्क लगाए घुमें, तो फिर सख्ती के प्रति असंतोष झलकना लाजमी है.

दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में जनता का ये रुख कोरोना के संक्रमण को पैर पसारने का मौका मुहैया करवा रहा है. अस्पताल से लेकर श्मशान, कब्रिस्तान तक अपनी बारी का इंतजार करते लोगों की ऐसी तस्वीर शायद ही किसी ने अपने जीवन में देखी होगी. रोते- चीखते परिजन आक्रोशित भी हैं और उतने ही बेबस भी...करें तो क्या करें...एक वायरस चंद दिनों में, उनकी जिदंगी भर का साथ देने का वादा चुरा ले गया...उम्मीदों को मौत की नींद में सुला गया....

सीएम केजरीवाल का बयान

फरवरी 2020 से शुरू हुआ कोरोना अप्रैल 2021 में इस कदर तबाही मचाएगा शायद ये बात किसी ने नहीं सोची. सरकारें भी पहली लहर पर काबू पा जाने के गुमान में थी और जनता भी वैक्सीन आ जाने के बाद सुकून में थी, लेकिन नई लहर ने इस माहौल में बनी लापरवाहियों के बीच अपनी ऐसी जगह बना ली कि अब रास्ता नहीं मिल रहा कि इससे कैसे बाहर निकला जाए.

देश की राजधानी के हाल पर लोग सकते में हैं. सिलसिलेवार तरीके से हम आपको पूरी दिल्ली की हालत बताएंगे. इसलिए नहीं कि आपको डराया जाए बल्कि इसलिए ताकि आप हकीकत से रूबरू हों, सावधानी बरतें. पहले कोरोना केस का आंकड़ा समझिए...

सीएम केजरीवाल का बयान

दिल्ली के लिए 'आफत' बनी अप्रैल

अकेले अप्रैल महीने में कोरोना के मामले लगातार तेजी से बढ़े. हालत ऐसी हो गई कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार को वीकेंड कर्फ्यू लगाना पड़ा. पाबंदियां और भी बढ़ाई जा सकती हैं. ये बातें खुद सीएम केजरीवाल ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही हैं. मतलब साफ है कि हालात नहीं सुधरे तो एक बार फिर दिल्ली 'लॉक' हो जाएगी.

सीएम केजरीवाल का बयान

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अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता

कोरोना के मामले जिस तरह से बढ़ते जा रहे हैं अस्पतालों में बेड्स की संख्या कम होती जा रही है. दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले बड़े-बड़े अस्पतालों में बेड्स गिनती के रह गए हैं. आंकड़े गवाह हैं कि जिस दिल्ली में बीते कुछ दिनों से रोजाना 15 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, वहां फिलहाल 5 हजार से कम बेड्स खाली हैं. ये हालत तब है जब बैंक्वेट हॉल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और स्कूलों में सरकार ने 875 बेड के आदेश दिए हैं. सीएम केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राधा स्वामी सत्संग में हम 2500 बेडस का इंतजाम कर रहे हैं.

सीएम केजरीवाल का बयान

अगले 2 से 4 दिन में 6000 और बेड जोड़ने में हम कामयाब होंगे. बेड की संख्या बढ़ाने के लिए होटल और बैंक्विट हॉल को भी नजदीकी अस्पताल के साथ जोड़ा जा रहा है. यह सभी बेड नजदीकी अस्पताल की निगरानी में होंगे. साथ ही ये भी कहा कि नवंबर में केन्द्र ने 4100 बेड दिए थे, लेकिन अभी जब पिछली बार के मुकाबले कोरोना ज्यादा पीक पर है तो 1800 बेड दिए गए हैं.

केन्द्र के अस्पताल में अभी दस हजार बेड हैं हमारी मांग है कि दिल्ली को कम से कम 5 हजार बेड दिए जाएं. स्वास्थ्य व्यवस्था की बदइंतजामी की ख़बरों से आगे बढ़िए तो मौत के आंकड़ों पर आकर ठिठक जाएंगे.

दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं

मौत के आंकड़ों में बड़ा अंतर खड़े कर रहा सवाल

अलग-अलग दिन दिल्ली सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक मौत का आंकड़ा 100-150 के बीच है. जबकि दिल्ली के तीनों नगर निगम और श्मशान घाट के आंकड़े कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं. ये आंकड़े इतने भयावह है कि मजबूरन दिल्ली सरकार को वीकेंड कर्फ्यू का ऐलान करना पड़ा.

सीएम केजरीवाल का बयान

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वीकेंड कर्फ्यू का पहला दिन

वीकेंड कर्फ्यू के पहले दिन दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में पुलिस मुस्तैद दिखी. कई इलाकों में नेताओं ने सेनेटाइजेशन अभियान चलाया. लेकिन कुछ इलाकों में लोग अभी भी लापरवाह नजर आए. हालत ऐसी है कि लोग अब भी बेवजह बाहर निकलने से नहीं कतरा रहे. बाहर निकलने की स्थिति ऐसी है कि लॉकडाउन के डर से मजदूर पलायन करने लगे हैं.

लॉकडाउन के डर से वापस लौटने लगे प्रवासी मजदूर

साल 2010 में लॉकडाउन का दर्द झेल चुके प्रवासी मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरू हो चुका है. बस अंतर इस बात का है कि दर-दर की ठोकरें खाते दिल्ली से पैदल अपनी मंजिल की ओर निकलने वाले प्रवासी मजदूर इस बार जल्द से जल्द लॉकडाउन से पहले अपना घर पहुंच जाना चाहते हैं. हालात इस कदर ही बेकाबू होते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से आनंद विहार टर्मिनल पर बीते साल की तरह भीड़ उमड़ जाए और सचिवालय से सिर्फ आदेश जारी करने वालीं सरकारें सिर्फ मुंह ताकती रह जाएं. इसलिए संभलिए, मास्क लगाएं, सुरक्षित रहें और घर पर रहें. बेवजह घर से बाहर नहीं निकलें.

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