नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया. यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है.
निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया.विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया. विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है.
विरोध का कोई आधार नहीं - अमित शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है, लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है. शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी.
अधीर रंजन चौधरी ने किया विरोध - इससे पहले, विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सेवा संबंधी विषय राज्य के अधीन होना चाहिए, ऐसे में यह विधेयक अमल में आने पर दिल्ली राज्य की शक्ति को ले लेगा. चौधरी ने कहा कि यह सहकारी संघवाद की कब्रगाह बनने वाला है.
एनके प्रेमचंद्रन - आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का तीन बिन्दुओं पर विरोध कर रहे हैं. इसमें पहला सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत है. उन्होंने कहा कि इस सदन को इस प्रकार का कानून बनाने की विधायी शक्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि यह संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है और दिल्ली राज्य की शक्तियों को कमतर करने वाला है.
प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास है. विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने चुटीली टिप्पणी की कि सबसे पहले वह विपक्ष के शुक्रगुजार हैं कि बगैर प्रधानमंत्री के सदन में आए, उन्होंने सदन चलने दिया. उन्होंने कहा कि एक सामान्य विधेयक के माध्यम से संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता है तथा यह अधिकारों के विभाजन के सिद्धांतों के भी खिलाफ है.
टीएमसी का विरोध- तृणतूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह संसद की विधायी शक्ति से बाहर का विषय है. उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है और पूरी तरह से मनमाना है. कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से गैर कानूनी है. कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह दिल्ली सरकार को कमतर करने का प्रयास है तथा संविधान सम्मत संघवाद के सिद्धांत को कमतर करता है.
बीजद ने किया समर्थन - बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आई है, वह पूरी तरह से विधायी शक्ति के अधीन है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के तहत भी ऐसा किया जा सकता है. मिश्रा ने विरोध करने वाले दलों के सदस्यों से कहा कि आप इसके (विधेयक) खिलाफ मतदान कर सकते हैं लेकिन इसे पेश करने को चुनौती नहीं दे सकते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी. यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया गया है.
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