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Delhi riots: अदालत ने कथित भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं को पक्षकार बनाने का समय दिया - The Citizenship (Amendment) Act, 2019

याचिकाकर्ता शेख मुजतबा फारूक और 'लॉयर्स वॉयस' की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्विस और सोनिया माथुर ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur), कपिल मिश्रा (Kapil Mishra), परवेश वर्मा (Parvesh Varma) और अभय वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है.

Delhi High Court
दिल्ली उच्च न्यायालय

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Published : Feb 8, 2022, 10:39 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने मंगलवार को उन याचिकाओं में कुछ राजनीतिक नेताओं को पक्षकार बनाने के बारे में आवेदन दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया, जिनमें आरोप लगाया गया था कि ऐसे नेताओं ने संशोधित नागरिकता कानून (The Citizenship (Amendment) Act, 2019) के विरोध-प्रदर्शनों (Shaheen Bagh) की पृष्ठभूमि में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए थे. जिसके कारण फरवरी 2020 में यहां दंगा (Delhi riots) भड़का.

याचिकाकर्ता शेख मुजतबा फारूक और 'लॉयर्स वॉयस' की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्विस और सोनिया माथुर ने कहा कि वे कथित तौर पर गलत काम करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली अपनी याचिकाओं में संबंधित व्यक्तियों को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन दाखिल करेंगे. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी की पीठ ने कहा कि अदालत को अभी उन आवेदनों की अनुमति देनी है जिन पर दाखिल होने के बाद विचार किया जाएगा.
गोंसाल्विस ने स्पष्ट किया कि उनका आवेदन अन्य याचिका में दाखिल किए जाने वाले आवेदन से 'बहुत अलग' है. इस पर न्यायमूर्ति मृदुल ने कहा कि उनके (माथुर) आवेदन दायर करने पर हम इस पर विचार करेंगे. हम अभी आवेदनों को अनुमति नहीं दे रहे हैं. आवेदन दायर करने होंगे.

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याचिकाकर्ता फारूक ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है. अन्य याचिकाकर्ता ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा के साथ-साथ दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी और एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान के खिलाफ कथित तौर पर भड़काऊ भाषण के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है.

सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रभावित होने वाले पक्षों की अनुपस्थिति में कार्यवाही पर सवाल उठाया क्योंकि निर्णय के लिए सभी उचित पक्षों की उपस्थिति आवश्यक है. पीठ ने सवाल किया कि जिन लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, क्या हम उनकी बात सुने बिना उनके खिलाफ निर्देश जारी कर सकते हैं? क्या वे अपना बचाव करने का मौका दिए जाने के हकदार नहीं हैं.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अदालत से याचिकाओं पर सुनवाई तब तक के लिए टालने का आग्रह किया, जब तक कि प्रभावित पक्षों को पक्षकार नहीं बनाया जाता. मामले को अब 16 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

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