नई दिल्ली :दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में गिरफ्तार जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के तीन छात्र-छात्राओं को मंगलवार को जमानत दे दी.
साथ ही कहा कि सरकार ने असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में प्रदर्शन करने का अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली कर दी तथा यदि यह मानसिकता मजबूत होती है तो यह 'लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा.'
परिभाषा 'कुछ न कुछ अस्पष्ट'
उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा को 'कुछ न कुछ अस्पष्ट' करार दिया और इसके 'लापरवाह तरीके' से इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी. साथ ही, अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा नताशा नरवाला और देवांगना कलिता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत इनकार करने के निचली अदालत के आदेशों को निरस्त कर दिया तथा उनकी अपील स्वीकार ली और उन्हें नियमित जमानत दे दी.
यूएपीए का मतलब गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम है. इस कानून का मुख्य कार्य आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाना है.
मई 2020 में हुई थी गिरफ्तारी
इन तीनों को पिछले साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में सख्त यूएपीए कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने कहा, 'हमारा मानना है कि हमारे राष्ट्र की नींव इतनी मजबूत है कि उसके किसी एक प्रदर्शन से हिलने की संभावना नहीं है....'
72 पृष्ठों के तीन अलग-अलग फैसले
उच्च न्यायलय ने 113, 83 और 72 पृष्ठों के तीन अलग-अलग फैसलों में कहा कि यूएपीए की धारा 15 में 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा व्यापक है और कुछ न कुछ अस्पष्ट है, ऐसे में आतंकवाद की मूल विशेषता को सम्मलित करना होगा और 'आतंकवादी गतिविधि' मुहावरे को उन आपरधिक गतिविधियों पर 'लापरवाह तरीके से' इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आते हैं.
कोर्ट ने ये की टिप्पणी
अदालत ने कहा, 'ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में सरकार के दिमाग में प्रदर्शन करने के लिए संविधान प्रदत्त अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा कुछ न कुछ धुंधली होती हुई प्रतीत होती है. यदि यह मानसकिता प्रबल होती है तो यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा....' अदालत ने कहा कि आतंकवादी गतिविधि को प्रदर्शित करने के लिए मामले में कुछ भी नहीं है.