नई दिल्ली :दिल्ली हिंसा मामले (delhi violence case) में साजिश रचने के आरोपी और जामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका (Shifa Ur Rahman bail plea) कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान शिफा-उर-रहमान के वकील अभिषेक सिंह ने कोर्ट से कहा कि क्या प्रदर्शनकारियों को धन देना UAPA के तहत अपराध है.
उन्होंने रहमान की ओर से बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के हेट स्पीच के खिलाफ की गई शिकायत की प्रति दिखाई. उन्होंने कहा था कि पुलिस ने इस मामले में शिफा-उर-रहमान को बतौर गवाह या आरोपी कोई पूछताछ नहीं की. अभिषेक सिंह ने पूछा था कि शिकायत के बाद FIR दर्ज क्यों नहीं की गई. अभिषेक सिंह ने कहा था कि शिफा-उर-रहमान के मौलिक अधिकारों का सुनियोजित तरीके से हनन किया गया है.
उन्होंने कहा कि जामिया एलुमनाई एसोसिएशन का सदस्य होना कोई अपराध नहीं है. विरोध करना और अपनी राय व्यक्त करना अपराध कैसे हो सकता है. जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के वाट्सऐप ग्रुप का सदस्य होना भी अपराध नहीं है. सिंह ने कहा था कि विरोध करना मौलिक अधिकार है. आप विरोध करने वाले को दंगाई की श्रेणी में क्यों रख रहे हैं. आरोपी ने प्रदर्शनकारियों को कुछ वित्तीय मदद भी की थी. क्या प्रदर्शनकारियों को वित्तीय मदद करना UAPA के तहत अपराध है. उन्होंने कहा था कि सवाल ये नहीं है कि नागरिकता संशोधन कानून या NRC देश के हित में है या नहीं बल्कि सवाल ये है कि किसी कानून का विरोध करना अपराध कैसे हो गया.