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जहांगीरपुरी हिंसा : पीएफआई की भूमिका पर जांच जारी - पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका जहांगीरपुरी हिंसा

जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पीएफआई की क्या भूमिका है, केंद्रीय एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं. दिल्ली पुलिस और कुछ दूसरी एजेंसियों को शक है कि इस हिंसा में पीएफआई की भूमिका हो सकती है. आपको बता दें कि 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी इलाके में एक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक झड़पें हुईं थीं.

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जहांगीरपुरी हिंसा

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Published : Apr 26, 2022, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच एजेंसियां 16 अप्रैल को हुई जहांगीरपुरी सांप्रदायिक हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की कथित भूमिका की जांच कर रही है. खुफिया नेटवर्क के सूत्रों ने कहा है कि एजेंसियां जहांगीरपुरी में पीएफआई की छात्र शाखा से जुड़े कुछ लोगों की मौजूदगी की जांच कर रही हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि वे इलाके में किससे मिले थे.

सूत्रों ने यह भी कहा कि उन्होंने पीएफआई छात्र विंग के सदस्यों के लगभग 22 मोबाइल नंबरों की पहचान की है, जो हिंसा भड़कने से पहले क्षेत्र में मौजूद थे. सूत्रों ने कहा कि जांच एजेंसियां उनकी गतिविधियों का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं और दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा उनसे पूछताछ कर सकती है. इनमें से कुछ नंबर फरवरी 2020 में दिल्ली हिसा के दौरान भी सक्रिय पाए गए थे. जांच एजेंसियां यह भी पता लगाना चाहती हैं कि क्या इन पीएफआई सदस्यों का जहांगीरपुरी में हुई हिंसा से कोई संबंध था ? यह इसलिए, क्योंकि दिल्ली पुलिस का मानना है कि झड़पों के मुख्य आरोपी अंसार के कट्टरपंथी संगठन के साथ संबंध थे.

खुफिया एजेंसियों ने पहले आशंका व्यक्त की थी कि पीएफआई जैसे कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने हिंसा को भड़काया होगा. 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान गंभीर सांप्रदायिक झड़पें हुईं थीं, जिसमें आठ पुलिसकर्मियों सहित नौ लोग घायल हो गए थे. पुलिस अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा दो किशोरों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है.

सुप्रीम कोर्ट ने गत गुरुवार को जहांगीरपुरी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की ओर से अतिक्रमणकारियों पर बुलडोजर चलाए जाने के संबंध में यथास्थिति के निर्देश को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है.

इस मामले की सुनवाई के दौरान, जब एक वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि अदालत को अगले आदेश तक विध्वंस पर रोक लगानी चाहिए तो शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पूरे देश में विध्वंस को रोक नहीं सकती. जमीयत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अतिक्रमण पूरे भारत में एक गंभीर समस्या है लेकिन मुस्लिम समुदाय को अतिक्रमण से जोड़ना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं दूसरे राज्यों में भी हो रही हैं और जब जुलूस निकाले जाते हैं और मारपीट होती है तो एक ही समुदाय के घरों पर बुलडोजर चलाया जाता है.

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