कानून में धर्मांतरण पर कोई रोक नहीं है- हाईकोर्ट
याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में निचले तबके के लोगों खासकर अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों के धर्मांतरण में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. कुछ मामलों में धर्मांतरण के लिए काला जादू का भी सहारा लिया जा रहा है. धर्मांतरण के लिए हमेशा ही आर्थिक रूप से कमजोर तबके को टारगेट किया जाता है.
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून में धर्मांतरण पर कोई रोक नहीं है और कोर्ट तभी दखल दे सकता है जब धर्म परिवर्तन जोर जबरदस्ती से कराया जाए. जस्टिस संजीव सचदेवा की बेंच ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मर्जी से कोई भी धर्म अपनाने और मानने का अधिकार है. मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी.
याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में निचले तबके के लोगों खासकर अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों के धर्मांतरण में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. कुछ मामलों में धर्मांतरण के लिए काला जादू का भी सहारा लिया जा रहा है. धर्मांतरण के लिए हमेशा ही आर्थिक रूप से कमजोर तबके को टारगेट किया जाता है.
याचिका में कहा गया है कि यह अपने धर्म के प्रचार-प्रसार के मौलिक अधिकारों का तो उल्लंघन करता ही है यह संविधान की धारा 51ए का भी उल्लंघन करता है. याचिका में कहा गया है कि भारत में सदियों से धर्मांतरण जारी है. इसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है. याचिका में कहा गया है कि विदेशी चंदे पर चलने वाले NGO को धर्मांतरण के लिए मासिक टारगेट दिया जाता है. याचिका में कहा गया है अगर सरकार इसके खिलाफ कदम नहीं उठाती है तो देश में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे.