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Delhi हाईकोर्ट ने सांसद मेनका गांधी की अर्जी पर CBI से मांगा जवाब - पटियाला हाउस कोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार मामले में जांच के आदेश के खिलाफ बीजेपी सांसद मेनका गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया है.

मेनका गांधी
मेनका गांधी

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Published : Sep 22, 2021, 9:44 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद मेनका गांधी के खिलाफ एक ट्रस्ट को फर्जी तरीके से ₹50 लाख देने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से बिना अनुमति के संज्ञान लेने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया है. जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने 6 दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है.

आपको बता दें कि इस मामले के शिकायतकर्ता वीएम सिंह ने 4 फरवरी 2020 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि आरोपों पर संज्ञान लेने के लिए वो जरुरी अनुमति हासिल करें. याचिका में कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट प्रथम दृष्टया आरोपों से सहमत थी, लेकिन भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 19 में संशोधन के बाद अब आरोपों पर संज्ञान लेने के लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

मेनका गांधी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट के आदेश को दी चुनौती

मेनका गांधी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई को आगे जांच करने का आदेश देने के ट्रायल कोर्ट को चुनौती दी. पटियाला हाउस कोर्ट ने 4 फरवरी 2020 को सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था औऱ सीबीआई को आगे की जांच करने का आदेश दिया. ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि जो दस्तावेज मौजूद है उससे साजिश का पता चलता है.

दरअसल 2006 में सीबीआई ने मेनका गांधी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उनके अलावा दो और आरोपियों का नाम शामिल थे. आरोप है कि मेनका गांधी ने मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के पूर्व सचिव डॉ. एफयू सिद्दीकी के साथ पीलीभीत में साजिशन गांधीरुरल वेलफेयर ट्रस्ट के पूर्व मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. विजय शर्मा को ₹50 लाख स्वीकृत किए थे.

सीबीआई ने ये भी आरोप लगाया था कि ट्रस्ट को पीलीभीत के तत्कालीन कलेक्टर ने दो एंबुलेंस खरीदने के लिए करीब ₹11 लाख दिए जो मेनका गांधी को सांसद निधि से दिए गए थे. ये पैसे ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी रामाकांत रामपाल को दिए गए. जिन्होंने दो जीप खरीदे, उन जीपों को रामपाल सीएमओ से सत्यापित भी नहीं करा पाए. क्योंकि जिस मॉडल के लिए पैसे जारी किए गए थे. उससे काफी छोटे मॉडल की गाड़ियां खरीदी गई थीं. एफआईआर में ये भी कहा गया था कि उन गाड़ियों का मैनेजिंग ट्रस्टी व्यक्तिगत इस्तेमाल करते थे.

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