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28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई आज - मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून

33 वर्षीय महिला ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत अपनी गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त (Termination of 28 weeks pregnancy) करने की अनुमति के लिए अदालत का रुख किया है, जिसमें दावा किया गया है कि भ्रूण हृदय की असमान्यताओं से पीड़ित था और बचने की संभावना बहुत कम थी.

दिल्ली हाई कोर्ट
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Published : Dec 29, 2021, 3:54 AM IST

नई दिल्ली :दिल्ली हाई कोर्ट आज 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त (Termination of 28 weeks pregnancy) करने की अनुमति मांगने वाली 33 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई करेगा. महिला ने भ्रूण में कुछ असमान्यताओं के कारण गर्भ को चिकित्सकीय तौर पर समाप्त करने की इजाजत मांगी है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले में एम्स के विशेषज्ञों से राय मांगी थी. प्रारंभिक चिकित्सा रिपोर्ट में भ्रूण के जीवित होने का संकेत मिला था और इस स्तर पर गर्भाशय से भ्रूण निकाले जाने के बाद चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है.

न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने कहा था कि मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर, सवाल यह नहीं है कि क्या गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है, बल्कि सवाल यह है कि क्या ऐसा किया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत अपनी गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति के लिए अदालत का रुख किया है, जिसमें दावा किया गया है कि भ्रूण हृदय की असमान्यताओं से पीड़ित था और बचने की संभावना बहुत कम थी.

न्यायालय ने 22 दिसंबर को एम्स से महिला की जांच के लिए जल्द से जल्द मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा था. अदालत ने कहा कि एम्स मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, भ्रूण बचने योग्य था और अगर उसे उचित चिकित्सा देखभाल दी जाए तो उसके बचने की 80 प्रतिशत संभावना थी.

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उच्च न्यायालय ने बोर्ड को यह बताने के लिए भी कहा है कि क्या गर्भावस्था जारी रखने पर याचिकाकर्ता को कोई शारीरिक या मानसिक खतरा है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह तय करना मां का अधिकार है कि क्या वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं. उन्होंने दलील दी कि कानून के अनुसार 24 सप्ताह के बाद भी गर्भ को समाप्त किया जा सकता है.

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