नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (former West Bengal CS Alapan Bandyopadhyay) द्वारा दायर याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज कर दिया. याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने उनके द्वारा दायर एक मामले को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था.
अदालत ने कहा, 'उपरोक्त कारणों से, इस न्यायालय को उपरोक्त आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं लगता है. याचिका खारिज की जाती है. यह स्पष्ट किया जाता है कि न्यायालय ने इस तरह की कार्यवाही शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की क्षमता सहित अनुशासनात्मक कार्यवाही पर कोई टिप्पणी नहीं की है.'
बंद्योपाध्याय की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कार्तिकेय भट्ट ने तर्क दिया था कि अर्जी को स्थानांतरित करने के आदेश को नैसर्गिक न्याय, समानता एवं निष्पक्षता के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन कर जारी किया गया, क्योंकि उन्हें अपनी आपत्तियां लिखित में दर्ज कराने का अधिकार भी नहीं दिया गया था और केंद्र का अनुरोध सुनवाई के पहले दिन ही स्वीकार कर लिया गया था.
भट्ट ने कहा था कि आदेश जारी करते समय अधिकारी की सुविधा पर विचार किया जाना चाहिए और याचिकाकर्ता आमतौर पर एवं स्थायी रूप से कोलकाता में रहता है, साथ ही पूरी घटना कैट की कोलकाता पीठ के अधिकार क्षेत्र में घटी थी.
केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जब तक सुनवाई ऑनलाइन होती है, तब तक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कोलकाता में होती है या दिल्ली में. मेहता ने कहा था कि अदालत उनके इस अनुरोध या संयुक्त अनुरोध को रिकॉर्ड कर सकती है कि सुनवाई कैट के समक्ष ऑनलाइन ही की जाएगी.