नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) मामले की आरोपी गुलफिशा फातिमा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Petition) खारिज कर दी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण के लिए दायर याचिका में हिरासत के आदेश की वैधता की जांच नहीं की जा सकती.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का ये दावा बिल्कुल गलत है कि उसे गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है, क्योंकि वो न्यायिक हिरासत में है. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित महाजन और रजत नायर ने कहा कि 16 सितंबर 2020 को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गुलफिशा के खिलाफ ट्रायल कोर्ट (Trial Court) में चार्जशीट दाखिल किया था.
17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. कहा कि आरोपी अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 309 के तहत ट्रायल कोर्ट के आदेश के तहत न्यायिक हिरासत में है. ऐसे में ये कहना गलत है कि आरोपी को गैरकानूनी हिरासत में रखा गया है. आरोपी की ओर से दायर यह याचिका कानून का दुरुपयोग है. आरोपी की ऐसी ही याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 22 जून 2020 को विस्तृत फैसला सुनाते हुए उसे खारिज करने का आदेश दिया था.