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Mehbooba Passport Issue: महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट पर तीन माह में फैसला लें जम्मू एंड कश्मीर पासपोर्ट कार्यालयः दिल्ली हाईकोर्ट - पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती का पासपोर्ट मामला

पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट पर अगले तीन महीने में दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं. महबूबा मुफ्ती ने वर्ष 2020 में अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण का आवेदन स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय में किया था, लेकिन इस नवीनीकरण के आवेदन को स्थानीय कार्यालय द्वारा खारिज कर दिया गया था.

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Published : Mar 3, 2023, 7:57 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू एंड कश्मीर के स्थानीय पासपोर्ट ऑफिस को तीन महीने में पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं. इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट के रिन्युअल को लेकर जम्मू एंड कश्मीर के स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय को निर्देशित किया गया है. इसके बाद कोर्ट ने तीन महीने के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. मुफ्ती का आवेदन पिछले 2 वर्ष से स्थानीय कार्यालय में ही लंबित था. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में मामले को चुनौती दी थी.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने कोर्ट को बताया कि जम्मू एंड कश्मीर स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय को महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट के नवीनीकरण के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया. महबूबा मुफ्ती ने याचिका दाखिल की थी कि पासपोर्ट नवीनीकरण के निरस्त करने के आदेश के खिलाफ कोर्ट जल्द निर्देश जारी करे. महबूबा मुफ्ती ने 2020 में अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण का आवेदन स्थानीय पासपोर्ट कार्यालय में किया था, लेकिन इस नवीनीकरण के आवेदन को स्थानीय कार्यालय द्वारा खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

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2021 में जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने महबूबा की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह किसी व्यक्ति को पासपोर्ट जारी करने के मामले में आदेश जारी नहीं कर सकता है. यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. हालांकि, संबंधित अथॉरिटी को जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश जरूर जारी कर सकता है. कोर्ट ने महबूबा मुफ्ती को संबंधित अथॉरिटी के पास अपील करने का विकल्प सुझाया था. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि मामला क्षेत्रीय कार्यालय के पास है. ऐसे में उन्होंने क्षेत्रीय कार्यालय को 3 माह के अंदर इस पर निर्णय लेने और कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया है.

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