नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट अंतिम परिणाम घोषित होने से पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2023 की उत्तर कुंजी का खुलासा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके, वे परीक्षा प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे रहे थे, बल्कि पूरी प्रक्रिया पूरी होने से पहले उत्तर कुंजी का खुलासा करने का महज अनुरोध कर रहे थे.
यूपीएमसी ने दिया था तर्क: इससे पहले याचिका की सुनवाई के दौरान यूपीएससी ने तर्क दिया था कि चूंकि मामला नियुक्तियों और भर्ती से संबंधित है, इसलिए इसकी सुनवाई केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा की जानी चाहिए, न कि उच्च न्यायालय द्वारा. हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि यह कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई प्रार्थना अनिवार्य रूप से उम्मीदवारों के कानूनी और मौलिक अधिकारों के निर्णय को शामिल कर सकती है, जिसमें जानने का अधिकार शामिल है. कोर्ट ने आगे कहा कि केवल उत्तर कुंजी मांगने से भर्ती की प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.
पूर्व की कार्यवाही पर नहीं पड़ेगा प्रभाव: साथ ही तत्काल याचिका पर फैसला देने में भी कोई बाधा नहीं है, इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिका स्वीकार की जाती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके द्वारा की गई टिप्पणियों का पहले की किसी भी अन्य कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इससे पहले हाईकोर्ट ने दो अगस्त को याचिका की विचारणीयता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब उसने मामले को गुण-दोष के आधार पर सुनवाई के लिए 26 सितंबर को सूचीबद्ध किया है.