नई दिल्ली : दो बांग्लादेशी नागरिकों की 'कालीसूची' में डाले जाने के खिलाफ दी गई याचिका पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें इस बारे में केंद्र के समक्ष प्रतिवेदन देने को कहा. दोनों बांग्लादेशी नागरिक अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिये भारत आना चाहते हैं.
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कालीसूची परिपत्र से अपना नाम हटाने के लिये दो विदेशी नागरिकों द्वारा दायर याचिका को निस्तारित करते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि वह छह हफ्ते में इनके प्रतिवेदन पर फैसला करे.
याचिकाकर्ताओं को 1999 में भारत से निर्वासित किया गया था. उन्होंने तर्क दिया कि उनकी मनमाने व अनुचित रूप से कालीसूची में डाला गया जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन ने याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध करते हुए कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां विदेशी उन्हें प्रवेश की अनुमति देने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता विदेशी नागरिकों के बजाय यहां रहने वाले परिवार के सदस्य अदालत का रुख कर सकते थे.