नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि बेवफा होने या विवाहेत्तर संबंध रखने का आरोप (allegations of extra marital) लगाना क्रूरता की श्रेणी में आता (false accusations of extra marital affair is cruelty) है. अदालत ने यह टिप्पणी पति-पत्नी के तलाक के मामले पर फैसला सुनाते हुए (Delhi HC on allegations of extra marital) की. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि विवाह पवित्र संबंध है तथा उसकी शुद्धता स्वस्थ समाज के लिए बनायी रखी जानी चाहिए.
अदालत ने यह भी कहा कि विवाहेत्तर संबंधों के झूठे आरोपों से मानसिक पीड़ा, यंत्रणा और दुख होता है और इससे प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचता है. विवाहेत्तर संबंधों के आरोप गंभीर होते हैं और उससे गंभीरता से ही निपटना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि झूठे आरोप लगाने की प्रृति की अदालत निन्दा करती है. दरअसल, महिला ने अपने पति पर विवाहेत्तर संबंध का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था.
बता दें कि महिला की शादी जून 2014 में हुई थी. शादी के तुरंत बाद पति-पत्नी के संबंधों में कड़वाहट आ गई. महिला अपने पति से जून 2016 से अलग रहने लगी. उसने अपने ससुर के खिलाफ पालम थाने में यौन प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाया था. मार्च 2017 में महिला के पति ने द्वारका कोर्ट के फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए केस दाखिल किया था.
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सुनवाई के दौरान द्वारका कोर्ट ने पाया कि महिला ने अपने पति के खिलाफ विवाहेत्तर संबंधों का जो आरोप लगाया था, उस संबंध में कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाई. महिला ने अपने ससुर के खिलाफ यौन प्रताड़ना का जो आरोप लगाया था, वह भी खारिज हो चुका था. हाईकोर्ट ने द्वारका कोर्ट के इस पड़ताल को सही पाया कि महिला ने अपने पति के खिलाफ विवाहेत्तर संबंधों का आरोप लगाकर उसकी समाज में छवि खराब करने की कोशिश की. यहां तक कि उसने अपने ससुर के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोपों से संबंधित खबर भी एक अखबार में छपवा दी थी. ऐसा करना क्रूरता के तहत आता है और यह तलाक के लिए उचित कारण है. हाईकोर्ट ने द्वारका कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला की याचिका को खारिज कर दी.