नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो कोरोना के इंजेक्शन स्पूतनिक के निर्माण के लिए निर्माता कंपनी पैनेसिया बायोटेक को ब्याज समेत 14 करोड़ रुपये का भुगतान करे.
जस्टिस मनमोहन सिंह और जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने सख्त टिप्पणी में यह भी कहा कि रूस से कोई व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में टीका उत्पादन के बुनियादी ढांचे का पता लगाने में सक्षम है, लेकिन केंद्र ऐसा करने में विफल रहा है.
'महामारी से मानव जाति अस्तित्व के संकट से गुजर रही'
स्पूतनिक वी से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय ने कहा कि 'यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोविड-19 महामारी के समय मानव जाति अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है.'
अदालत ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में हालात को लेकर दुख जताया जहां टीकों की कमी से हर कोई प्रभावित हुआ है जबकि केंद्र सरकार कह रही है कि महामारी से निपटने के लिए समूची आबादी का टीकाकरण ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस असाधारण समय में नियमावली से गुजरते हुए मानव जीवन को बचाना कठिन हो जाएगा और किसी को व्यापाक फलक देखना होगा. अदालत ने कहा इस समय लचीलापन और तत्परता मंत्र होना चाहिए और अधिकारियों को ऑडिट और जांच से नहीं घबराना चाहिए.
भारत में कोरोना वायरस के इतनी बड़ी संख्या में आए मामलों का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा ऐसा कुछ नहीं दिखता कि सरकारी अधिकारियों ने टीका के भारतीय निर्माताओं से विचार-विमर्श किया और इसके लिए कोई कदम उठाया.
'टीके की कमी से हर कोई प्रभावित'