नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने हेट स्पीच को लेकर बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग (FIR against Anurag Thakur for hate speech) पर फैसला सुरक्षित (Delhi High court on hate speech case) रखा है. सीपीएम नेता वृंदा करात ने इस मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रखा है.
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वृंदा करात के वकील तारा नरुला और अदीत एस पुजारी से कहा कि क्या नेताओं के भाषण किसी प्रदर्शन वाली जगह पर था. ये लोग का मतलब किससे था. ये किसी खास समुदाय के लिए नहीं था. ये लोग कोई भी हो सकते हैं. आप इसके बारे में कैसे कह सकते हैं. इसमें किसी के खिलाफ सीधे-सीधे नहीं उकसाया गया है. इसमें सांप्रदायिक बात कहां है. इस पर अदीत एस पुजारी ने कहा कि जब इन नेताओं ने भाषण दिया था, उस समय शाहीन बाग, जामिया इस्लामिया युनिवर्सिटी में प्रदर्शन हो रहे थे. भाषणों का सीधा टार्गेट एक खास समुदाय था.
बता दें कि, आठ अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि यह क्षेत्राधिकार का मसला है. ट्रायल कोर्ट ने धारा 397 का हवाला दिया है, जिसका मतलब केस खारिज होना नहीं है. ये मामला महीनों तक लंबित रहा. तब जस्टिस खन्ना ने कहा था कि आप जानते हैं कि मजिस्ट्रेट के समक्ष हजारों केस लंबित हैं. सिद्धार्थ अग्रवाल ने प्रभु चावला के केस का हवाला देते हुए कहा था कि धारा 482 के तहत हाईकोर्ट के पास आंतरिक शक्ति है. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के विक्रम बख्शी बनाम दिल्ली राज्य के फैसले का उदाहरण दिया. अग्रवाल ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने धारा 156(3) के तहत याचिका दायर की थी. ट्रायल कोर्ट ने केस की मेरिट पर गौर किए बिना हमें क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया. ऐसा कर ट्रायल कोर्ट ने गलती की.
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील ऋचा कपूर ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जो सवाल उठाए हैं. वे सेशंस कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर कर भी कहा जा सकता है. उन्होंने कहा था कि वो इस मामले पर फैसलों की प्रति और याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर दलीलें रखेंगी. उसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को फैसलों की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया था.