नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट जेएनयू की सभी सीटों को केवल जूनियर रिसर्च फेलोशिप यानी जेआरएफ के लिए आवंटित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई कर सकता है. 16 जुलाई को हाई कोर्ट ने इसको लेकर जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी किया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 16 जुलाई को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए दो अगस्त तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था. स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की JNU यूनिट ने हाई कोर्ट में यह याचिका दाखिल की है.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए JNU के सात केंद्रों में Ph.D. की 100 फीसदी सीटों को JRF कैटेगरी के आवेदकों के लिए आवंटित कर दिया गया है. JNU के फैसले से नॉन JRF कैटेगरी के छात्र यहां से Ph.D. नहीं कर पाएंगे. इससे कई छात्र Ph.D. करने से वंचित रह जाएंगे.
याचिका में कहा गया है कि JNU में अभी तक यह नियम लागू नहीं था. पिछले साल JNU में Ph.D. की सीटों को जेआरएफ कैटेगरी से भरने के साथ ही नॉन JRF छात्रों के लिए प्रवेश परीक्षा की भी व्यवस्था थी लेकिन इस सत्र के लिए JNU ने अपने ई-प्रोस्पेक्टस में सभी सीटों को JRF से भरने का फैसला किया है. ऐसा करना मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है.
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JNU के जिन सात केंद्रों के लिए Ph.D में केवल JRF कैटेगरी के छात्रों को ही सीटें देने का फैसला किया गया है. उनमें सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड डेवलेपमेंट, पीएचडी इन ह्यूमन राइट्स स्टडीज, सेंटर फॉर इंग्लिश स्टडीज, सेंटर फॉर इंडियन लैंग्वेजेज (पीएचडी इन हिंदी, पीएचडी इन उर्दू, पीएचडी इन हिंदी ट्रांस्लेशन), सेंटर फॉर स्टडी फॉर लॉ, गवर्नेंस, स्पेशल सेंटर फॉर सिस्टम्स मेडिसिन और सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज शामिल हैं.