नई दिल्ली : किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में 'हिंदू राष्ट्र' की मांग करना धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाना नहीं होता है. जंतर-मंतर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित सांप्रदायिक भाषण करने के मामले में एक आरोपी ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में यह दलील दी.
कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह ने न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ से कहा कि अगर अदालत का विचार इसके विपरीत है तो वह जमानत का आग्रह नहीं करेंगे. सिंह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.
सिंह के वकील और उनकी रिहाई का विरोध करने वाले दिल्ली पुलिस के वकील की जिरह सुनने के बाद न्यायाधीश ने सिंह की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, 'मैं जिम्मेदारी से कहता हूं कि अगर अदालत मानती है कि मांग (हिंदू राष्ट्र की) भादंसं की धारा 153 के तहत आती है तो मैं जमानत याचिका को जारी रखने का दबाव नहीं बनाऊंगा. किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत अगर यह (मांग) शत्रुता को बढ़ावा देता है तो मैं जमानत की मांग नहीं करूंगा.'
वकील ने स्वीकार किया कि आरोपी ने इस मांग पर मीडिया को साक्षात्कार दिया लेकिन कहा कि वह कथित सांप्रदायिक नारेबाजी का हिस्सा नहीं थे.