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हाईकोर्ट से चिराग पासवान को झटका, याचिका खारिज - चिराग पासवान

दिल्ली उच्च न्यायालय से लोजपा नेता चिराग पासवान को झटका लगा है. कोर्ट ने नेता चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज किया, जिसमें उन्होंने सदन में पशुपति पारस को पार्टी के नेता के रूप में मान्यता देने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी.

चिराग पासवान
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Published : Jul 9, 2021, 5:23 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 5:36 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के एक धड़े के नेता चिराग पासवान ( Chirag Paswan)की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा पशुपति कुमार पारस को सदन में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता देने को चुनौती दी थी.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि मुझे इस याचिका में कोई दम नजर नहीं आ रहा. अदालत इस मामले में चिराग पर जुर्माना लगाना चाहती थी, लेकिन उनके वकील के अनुरोध करने के बाद उसने ऐसा नहीं किया.

याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें चिराग के चाचा पारस का नाम लोकसभा में लोजपा के नेता के तौर पर दर्शाया गया.

सुनवाई के दौरान चिराग पासवान की ओर से वकील एके वाजपेयी से कोर्ट ने पूछा कि आपकी पार्टी में कितने सांसद हैं, तब वाजपेयी ने कहा कि छह सांसद हैं, जिनमें से पांच बचे हैं. कोर्ट ने कहा कि वे कहते हैं कि वे ही पार्टी हैं क्या यह सही है. पहले आपको उसे सुलझाना चाहिए. तब वाजपेयी ने कहा कि मैं स्पीकर के फैसले को चुनौती दे रहा हूं. उन्होंने उस सर्कुलर का जिक्र किया, जिसमें चिराग पासवान का पार्टी के दल के फ्लोर लीडर से नाम हटाया गया और उसके बाद पशुपति पारस का नाम लिखा गया. उन्होंने कहा कि उस सर्कुलर के जारी होने के पहले चिराग पासवान पार्टी के लोकसभा में नेता थे, उन्हें पार्टी को बिना कोई सूचना दिए लोकसभा के नेता के पद से हटाया गया.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पीकर को इस सुनवाई का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि हमने अभी उन्हें नहीं बुलाया. कुछ तथ्य उपलब्ध नहीं हैं. इस पर मेहता ने कहा छह चुने हुए प्रतिनिधि हैं, जिसमें से पांच याचिकाकर्ता के साथ नहीं हैं. उनकी मांग है कि पार्टी का संविधान लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि मान लिया जाए कि उन पांच में से कोई एक कोर्ट आ जाए तो इसका फैसला कैसे होगा, इस विवाद की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है.

वाजपेयी ने संसदीय कानून के नियम 2(एफ) का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि चिराग पासवान को हटाने का फैसला संसदीय बोर्ड को लेना था. पशुपति पारस ने पार्टी के संविधान के खिलाफ काम किया. उन्होंने कुछ अखबारों की खबरों को पढ़ा, तब कोर्ट ने कहा कि मेरा अखबारों की कटिंग में कोई रुचि नहीं है. वाजपेयी ने कहा कि पशुपति पारस पार्टी के लोकसभा में नेता के पहले पार्टी के चीफ व्हिप थे. चीफ व्हिप ने स्पीकर को पत्र लिखा और उस आधार पर सर्कुलर जारी कर दिया गया, तब कोर्ट ने पत्र की कॉपी मांगी. वाजपेयी ने कहा कि वह कॉपी नहीं है क्योंकि वो हमें दिया ही नहीं गया.

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मंत्रिमंडल फेरबदल सह विस्तार के दौरान सात जुलाई को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले पारस ने अपने सियासी सफर का एक खासा हिस्सा अपने दिवंगत बड़े भाई राम विलास पासवान की छत्रछाया में बिताया है.

बता दें कि पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पार्टी पर वर्चस्व को लेकर लड़ाई चल रही है. चिराग पासवान ने पार्टी संविधान की दुहाई देते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. चिराग ने कहा है कि पार्टी विरोधी और पार्टी नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति पारस को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है. बता दें कि पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में केंद्र में मंत्री बनाया गया है.

Last Updated : Jul 9, 2021, 5:36 PM IST

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