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नवरात्रि 2021: जानिए, मां दुर्गा के 16 श्रृंगार के विशेष महत्व

शारदीय नवरात्रि में व्रत उपवास के साथ ही मां दुर्गा के 16 श्रृंगार का भी विशेष महत्व है. 16 श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती नहीं, भाग्य को भी चमकाता है. यही वजह है कि महिलाएं नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रृंगार करती हैं.

नवरात्रि 2021
नवरात्रि 2021

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Published : Oct 12, 2021, 8:56 AM IST

नई दिल्ली :शारदीय नवरात्रि का त्योहार मां शक्ति के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है. कहते हैं इन नौ दिनों में मां की सच्चे मन से आराधना करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस समय माता की पूजा के लिए देवी मां का 16 श्रृंगार किया जाता है. नवरात्रि के पर्व पर महिलाएं भी देवी मां की पूजा के लिए सज धज कर तैयार होती हैं. नवरात्रि में महिलाएं भी मां को खुश करने के लिए 16 श्रृंगार करती हैं. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताते हैं कि 16 श्रृंगार को काफी शुभ माना जाता है, तो आइये जानते हैं, कैसे करते हैं 16 श्रृंगार.

माता रानी के 16 श्रृंगार

फूलों का श्रृंगार

माता के 16 श्रृंगार में फूलों से श्रृंगार करना शुभ माना जाता है. फूलों की महक मन को ताजगी प्रदान करती है. ऐसे में महिलाएं मां को भी फूलों से सजाती हैं और खुद भी फूलों का श्रृंगार करती हैं.

बिंदी

कहा जाता है कि माथे पर सिंदूर का टीका या बिंदी लगाने से शरीर में पॉजिटिविटी का संचार होता है. इससे मानसिक शांति भी मिलती है. इस दिन चंदन का भी टीका लगाया जाता है. महिलाएं मां शक्ति को सिंदूर का टीका लगाने के साथ साथ खुद भी बिंदी लगाती हैं. ये 16 श्रृंगार का एक अहम हिस्सा है.

मेहंदी

सुहागिन महिलाओं में किसी भी त्योहार पर मेहंदी लगाने की परंपरा है. पूजा-पाठ के समय महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं. ये 16 श्रृंगार में से एक है. मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करती है.

मांग में सिंदूर

मांग में सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है. वहीं, सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. इसके अपने वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं. मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से शरीर में विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.

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मंगल सूत्र

मोती और स्वर्ण से युक्त मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद मिलती है. कहते हैं कि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है. गले में स्वर्ण आभूषण पहनने से हृदय रोग संबंधी रोग नहीं होते हैं. हृदय की धड़कन नियंत्रित रहती है. वहीं, मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते है. इससे मन चंचल नहीं होता है. नवरात्रि के समय मां को आभूषण पहनाएं जाते हैं और महिलाएं भी ज्वैलरी पहनती है.

कानों में कुंडल

मान्यता है कि कान में आभूषण या बाली पहनने से मानसिक तनाव नहीं होता है. कर्ण छेदन से आंखों की रोशनी तेज होती है. यह सिर का दर्द कम करने में भी सहायक होता है.

माथे पर स्वर्ण टीका

माथे पर स्वर्ण टीका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाता है.

कंगन या चूड़ियां

हाथों में कंगन या चूड़ियां पहनने से रक्त का संचार ठीक रहता है. इससे थकान नहीं होती है. साथ ही यह हॉर्मोंस को भी बैलेंस्ड रखता है.

बाजूबंद

इसे पहनने से भुजाओं में रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है. कहते हैं कि इससे दर्द से मुक्ति मिलती है. वहीं, इससे सुंदरता में निखार आता है.

कमरबंद

मान्यता है कि इसे पहनने से पेट संबंधी दिक्क्तें कम होती हैं. कई बीमारियों से बचाव होता है.

पायल

पायल पैरों की सुंदरता में चार चांद लगाती है. वहीं, इनको पहनने से पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा शरीर में संरक्षित होती है. कहते हैं कि चांदी की पायल पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाती है.

बिछिया

बिछिया को सुहाग की एक प्रमुख निशानी के तौर पर माना जाता है, लेकिन इसका प्रयोग पैरों की सुंदरता तक ही सीमित नहीं है. बिछिया नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां को मजबूत बनाए रखने में भी मददगार होती है.

नथनी

नथनी चेहरे की सुंदरता में चार चांद लगाती है. यह एक प्रमुख श्रृंगार है, लेकिन इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. नाक में स्वर्ण का तार या आभूषण पहनने से महिलाओं में दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है.

अंगूठी

अंगूठी पहनने से रक्त का संचार शरीर में सही बने रहता है. इससे हाथों की सुंदरता बढ़ती है. इससे पहनने से आलस कम आता है.

काजल

काजल आंखों की सुरंदता को बढ़ाता है. वहीं, आंखों की रोशनी भी तेज करने में सहायक होता है. इससे नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं.

मेकअप

फेस पर ब्यूटी प्रोडक्ट्स लगाने से चेहरे की सुंदरता बढ़ती है. वहीं, इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उनमें एनर्जी बने रहती है.

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