नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के मामले में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आठ संदिग्ध आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. एडिशनल सेशंस जज प्रवीण सिंह ने 30 मार्च को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया.
कोर्ट ने जिन आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया, उनमें गुलाम नबी खान, उमर फारुख शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट्ट, नाजिर अहमद डार, अब्दुल माजिद सोफी, मुबारक शाह और मोहम्मद युसूफ शामिल हैं. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नीतेश राणा ने कहा कि ये आरोपी 2013 में ही भगोड़ा घोषित किए जा चुके हैं. वे कोर्ट का समन जारी होने के बावजूद पेश नहीं हो रहे हैं. उसके बाद कोर्ट ने इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया.
कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया कि वो चार्जशीट की कॉपी आरोपियों मोहम्मद शफी शाह और मुश्ताक अहमद लोन, मुजफ्फर अहमद डार और तालिब लाली को सौंपें. सुनवाई के दौरान आरोपी मुजफ्फर अहमद डार ने जेल अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उसे उसके परिजनों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात नहीं करने दी जा रही है. उसके बाद कोर्ट ने जेल अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की.
ईडी की चार्जशीट में क्या
आठ दिसंबर 2021 को कोर्ट ने इस मामले में हिजबुल मुजाहिद्दीन सैयद सलाहुद्दीन समेत 10 आरोपियों के खिलाफ ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. ईडी ने अगस्त 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी. ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, युसूफ शाह ऊर्फ सैयद सलाहुद्दीन, गुलाम नबी खान, उमर फारुख शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट्ट, नाजिर अहमद डार, अब्दुल माजिक सोफी और मुबारक शाह ने पाकिस्तान के जरिये पहुंचे धन से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साजिश रची. इसके लिए हिजबुल मुजाहिद्दीन और दूसरे आतंकी संगठनों के कार्यकर्ताओं की मदद ली गई और हथियार और विस्फोटक खरीदे गए.